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झारखंड बजट 2019-20 : जनजातीय महिलाओं के लिए चार नर्सिंग व तीन कौशल कॉलेज संचालित किये जायेंगे

बड़ा फैसला. बीते वर्ष की तुलना में इस बार कम किया गया है विभाग का बजट कल्याण (एससी, एसटी अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण) विभाग ने राज्य में चार नर्सिंग व तीन कौशल कॉलेज संचालन का निर्णय लिया है. विशेषकर जनजातीय महिलाअों के लिए यह योजना संविधान की धारा 275(एक) के तहत होगी. रांची, गुमला, […]

बड़ा फैसला. बीते वर्ष की तुलना में इस बार कम किया गया है विभाग का बजट
कल्याण (एससी, एसटी अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण) विभाग ने राज्य में चार नर्सिंग व तीन कौशल कॉलेज संचालन का निर्णय लिया है. विशेषकर जनजातीय महिलाअों के लिए यह योजना संविधान की धारा 275(एक) के तहत होगी. रांची, गुमला, सरायकेला व दुमका जिले में नर्सिंग कॉलेज तथा रांची, साहेबगंज व सिमडेगा में कौशल कॉलेज संचालित होंगे. इसके अलावा वैसे एससी-एसटी विद्यार्थियों को, जो यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सफल होंगे, उन्हें मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार की तैयारी के लिए एकमुश्त एक लाख रुपये की सहायता प्रोत्साहन राशि मिलेगी. इधर, करीब 150 वर्ष पुराने रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल को संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया जा रहा है. इस योजना के तहत 25 करोड़ की राशि से पुराने जेल भवन तथा उसकी चहारदीवारी का जीर्णोद्धार व संरक्षण कार्य होगा.
इसके अलावा इसमें क्षेत्रीय विरासत को प्रदर्शित करनेवाले दृश्य उकेरे जायेंगे तथा भगवान बिरसा मुंडा सहित आठ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा स्थापित होगी. सभी शहीदों की जीवनी पर आधारित लाइट एंड साउंड शो की व्यवस्था यहां होगी. शहीदों को सम्मान देने के लिए कल्याण विभाग शहीद ग्राम विकास योजना भी संचालित कर रहा है. इसके तहत शहीद भगवान बिरसा मुंडा, गया मुंडा, टाना भगत, वीर बुधु भगत, सिद्धो कान्हू/चांद भैरव, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किशुन, तेलंगा खड़िया, पोटो हो तथा मागीरथ मांझी के गांवों का विकास किया जायेगा.
वृद्धा व विधवा पेंशन 600 रुपये से बढ़ कर एक हजार
कब्रिस्तानों की घेराबंदी के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी 30 करोड़ आवंटित
झारखंड राज्य अल्पसंख्यक अायोग (संशोधित) का गठन, हज पर भेजे गये 2620 लोग
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन को मंजूरी
पीटीजी के लिए बिरसा आवास योजना के तहत वर्ष 2019-20 में बनेंगे तीन हजार आवास
दुमका व चाईबासा में जनजातीय परिवारों को गरीबी रेखा से उबारने की योजना जारी रहेगी
कौशल विकास के लिए प्रेझा फाउंडेशन के तहत हर जिले में खुलेगा एक गुरुकुल
चालू वर्ष में चार एकलव्य-अाश्रम विद्यालय सीबीएसइ से संबद्ध, वर्ष 2019-20 में 14 अौर होंगे
साइकिल वितरण योजना के तहत एक साइकिल क्रय के लिए 3500 रुपये
मुख्यमंत्री सुकन्या योजना शुरू
समाज कल्याण
समाज कल्याण विभाग ने जनवरी 2019 से एक नयी मुख्यमंत्री सुकन्या योजना शुरू की है. इसके तहत एक परिवार की अधिकतम दो बालिकाअों/युवतियों को जन्म से लेकर उनके विवाह तक के विभिन्न चरणों में कुल 40 हजार रुपये की सहायता मिलेगी. 10 हजार रुपये की अंतिम सहायता 18 से 20 वर्षीय युवती का नाम मतदाता सूची में दर्ज होने पर मिलेगी. सरकार ने वृद्धा व विधवा पेंशन के तहत किसी लाभुक को प्रति माह मिलने वाली राशि 600 रुपये से बढ़ा कर एक हजार रुपये कर दी है.
एक परिवार की अधिकतम दो बालिकाअों/युवतियों को जन्म से लेकर उनके विवाह तक कुल 40 हजार रुपये की सहायता मिलेगी
10 हजार की अंतिम सहायता युवती का नाम मतदाता सूची में दर्ज होने पर मिलेगी
पोषण अभियान के तहत कुपोषण, समयबद्ध ढंग से प्रति वर्ष दो फीसदी की दर से कुल छह फीसदी कमी लायी जायेगी
सेविका (लघु आंगनबाड़ी सेविका) व सहायिका के मानदेय में 1500 (1250) तथा 750 रुपये की वृद्धि की जायेगी
राज्य के सभी दिव्यांग जनों का केंद्रीय योजना के तहत बनेगा यूनिक डिसेब्लिटी आइडेंटी कार्ड, होगी सुविधा
निर्भया फंड के तहत रांची, जमशेदपुर व धनबाद में तीन वन स्टॉप सेंटर
50% ग्रामीणों को मिलेगा पानी पेयजल एवं स्वच्छता
बजट में 2020 तक 50 फीसदी ग्रामीण आबादी तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए चालू योजनाओं को पूरा करने पर खासा ध्यान दिया गया है. पिछले तीन वर्षों में कुल 350 बड़ी जलापूर्ति योजनाओं के निर्माण की स्वीकृति दी गयी है. इनमें से 113 बड़ी योजनाएं पूरी कर ली गयी हैं. शेष 237 पर काम चल रहा है. इस वर्ष के अंत में योजनाएं पूरी होने के बाद राज्य की 40 फीसदी ग्रामीण आबादी को पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी जा सकेगी. बजट में ओडीएफ प्लस के लिए प्रबंध किया गया है. इसके तहत ठोस तरल कचरा प्रबंधन का कार्य कर गांव को स्वच्छ बनाया जायेगा.
आदिम जनजाति के 2,600 टोलों व फ्लोराइड या आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों पर चल रही योजनाएं पूरी की जायेंगी
एससी, एसटी बाहुल्य टोलों में कम से कम एक मिनी जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन
स्वजल योजना के तहत सौर ऊर्जा आधारित पाइप जलापूर्ति योजना से एक हजार टोलों में जलापूर्ति
चतरा, खूंटी, चक्रधरपुर, मझियांव, लातेहार, मधुपुर, गढ़वा व पाकुड़ की जलापूर्ति योजनाएं पूरी होंगी
बासुकीनाथ, मेदिनीनगर, कोडरमा, झुमरी-तिलैया, सिमडेगा, देवघर, बासुकीनाथ, चाईबासा व साहेबगंज में जलापूर्ति योजनाएं शुरू होंगी
ठोस तरल कचरा प्रबंधन का कार्य कर गांव को स्वच्छ बनाया जायेगा
बजट घटा, इस वर्ष 139 नये राजस्व कचहरी बनाये जायेंगे
राजस्व व भू-सुधार
वित्तीय वर्ष 2019-20 में 139 नये कचहरी सह हल्का कर्मचारी आवासों का निर्माण पूर्ण करा लिया जायेगा. इसके लिए राशि की स्वीकृति कर दी गयी है. वर्ष 2018-19 में योजना को स्वीकृति दी गयी थी, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. अब सात मिनट में रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया संपन्न हो जायेगी. देश के किसी भी भाग से निबंधन का आवेदन दिया जा सकता है. टाना भगतों की भूमि पर वर्ष 1956 से भुगतेय सेस की राशि को माफ कर दिया गया है. यह भी निर्णय हुआ है कि भविष्य में भी टाना भगतों से सेस के रूप में कोई राशि वसूली नहीं की जायेगी.
गैर ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी जमीन पर वर्षों से घर बनाकर रह रहे लोगों के लिए भू बंदोबस्ती नीति का निर्धारण
सात जिलों में कार्यरत मानकी, मुंडा, ग्राम प्रधान एवं डाकुआ को सम्मान राशि का हो रहा है भुगतान
टाना भगत के 60 विद्यार्थियों का रक्षा शक्ति विवि में नामांकन कराया है, इस पर खर्च का वहन सरकार करेगी
अब तक 86 मानकी को तीन-तीन हजार, 886 मुंडा व 10280 ग्राम प्रधान को दो-दो हजार तथा डाकुवा, परगनैत व पराणिक, जोगमांझी, कुड़ाम, नायकी, गोड़ैत, मूल रैयत, पड़हा राज, ग्राम सभा के प्रधान, घटवाल व तावेदार को हर माह एक-एक हजार रुपये देने की स्वीकृति पेंशन राशि बढ़ाना सही, पर वंचितों के लिए बहुत कुछ नहीं
बलराम
सामाजिक कार्यकर्ता
सामाजिक कार्यकर्ता तथा खाद्य सुरक्षा अभियान से जुड़े बलराम ने बजट को लोक लुभावन व चुनावी बजट बताया है. उन्होंने कहा कि वृद्ध व विधवा महिलाअों की पेंशन राशि 600 रुपये से बढ़ा कर एक हजार रुपये प्रति माह करना बढ़िया कदम है, हालांकि यह राशि अौर बढ़ायी जानी चाहिए. जनजातीय कल्याण के कई काम होने चाहिए थे, जो पहले से नहीं हो रहे हैं. मसलन जनजातीय उप योजना (टीएसपी) वाले इलाके में जनजातीय अाबादी के अनुरूप बजट होना चाहिए.
सरकार कहती है कि वह इससे कहीं अधिक राशि जनजातीय कल्याण के लिए दे रही है. पर यह रकम कहां व कैसे खर्च होती है, इसका खुलासा नहीं किया जाता. गौरतलब है कि कल्याण विभाग का बजट चालू वित्तीय वर्ष की तुलना में 92.72 करोड़ रुपये घटा दिया गया है.
उसी तरीके से राज्य की सबसे बड़ी समस्या कुपोषण पर सरकार की बेहतर दृष्टि व प्रयास दोनों नजर नहीं आते. सरकार ने सिर्फ यह कह दिया है कि कुपोषण को अगले कुछ वर्षों में दो फीसदी वार्षिक दर से छह फीसदी तक कम करना है, पर कैसे इसका कोई विवरण बजट भाषण में नहीं है. उसी तरह आंगनबाड़ी स्तर पर चालू योजनाअों को अौर बेहतर करने तथा इनकी मॉनिटरिंग पर सरकार ने कुछ नहीं कहा है. उधर, खाद्य आपूर्ति विभाग पिछले कई वर्षों से यह कह रहा है कि पीडीएस के लाभुकों को तेल-दाल उपलब्ध करायेगा. पर यह योजना इस बार भी शुरू नहीं की गयी.
हालांकि पीडीएस लाभुकों को प्रति माह एक किलो चना वितरण की घोषणा की गयी है. देखना है कि यह योजना शुरू कब होती है. विभाग को जनवितरण प्रणाली के जरिये रियायती दर पर दाल व खाद्य तेल देने पर भी विचार करना चाहिए. दरअसल दूसरी समस्या भी है. किसी भी योजना के लिए बजट निर्धारित करना अलग बात है. पर कुल बजट का खर्च होता है या नहीं ज्यादा अहम है.
चालू वित्तीय वर्ष में भी अभी दिसंबर तक सिर्फ 44 फीसदी राशि खर्च हुई है. समय पर बजट राशि का खर्च न हो पाना भी लोकहित के कार्यक्रमों में भारी पड़ रहा है. किसी संबंधित वित्तीय वर्ष की बजट राशि समानुपाती दर से खर्च होनी चाहिए. कम से कम तिमाही आधार पर इसकी समीक्षा भी जरूरी है.
वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में कोषागार से पैसे निकाल कर योजनाअों में लगाने के परिणाम अच्छे नहीं रहे हैं. पहले के कुछ विकास आयुक्तों ने इस परंपरा को खत्म करने की नसीहत भी दी थी, जिसे सरकार ने अनसुना कर दिया है. इस स्थायी सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए था.

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