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डोभी-चतरा-चंदवा सड़क का निर्माण कार्य, ठेकेदार को 5.69 करोड़ का अनुचित लाभ पहुंचाया
रांची : डोभी-चतरा-चंदवा सड़क का निर्माण कार्य संतोषप्रद नहीं होने की वजह से सचिव के आदेश पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. इसके बावजूद कार्यपालक अभियंता ने नक्सल बंदी, बारिश सहित अन्य कारणों को आधार पर बना कर ठेकेदार को काम करने के लिए 23 महीने का अतिरिक्त समय दिया. साथ ही उसे […]
रांची : डोभी-चतरा-चंदवा सड़क का निर्माण कार्य संतोषप्रद नहीं होने की वजह से सचिव के आदेश पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. इसके बावजूद कार्यपालक अभियंता ने नक्सल बंदी, बारिश सहित अन्य कारणों को आधार पर बना कर ठेकेदार को काम करने के लिए 23 महीने का अतिरिक्त समय दिया. साथ ही उसे 5.69 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाया. महालेखाकार(एजी) ने अपनी रिपोर्ट में इंजीनियर की इस गड़बड़ी का उल्लेख किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल हाइवे (हजारीबाग प्रमंडल) के कार्यपालक अभियंता ने नेशनल हाइवे-99 के तहत डोभी-चतरा-चंदवा सड़क के चौड़ीकरण और मजबूतीकरण के लिए एकरारनामा किया था. फरवरी 2012 में किये गये इस एकरारनामे के तहत 21 महीने में यानी नवंबर 2013 तक इस काम को पूरा करना था.
अप्रैल 2014 में ब्लैक लिस्ट हुआ था ठेकेदार : पथ निर्माण सचिव ने समीक्षा के दौरान काम को संतोषप्रद नहीं पाया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया. सचिव के आदेश के आलोक में ठेकेदार को अप्रैल 2014 में ब्लैक लिस्ट करते हुए भविष्य में पथ निर्माण का काम करने पर पाबंदी लगा दी गयी.
इसके बावजूद एनएच हजारीबाग के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार को काम करने दिया और उसे काम पूरा करने के लिए 23 महीने का अतिरिक्त समय दिया. इंजीनियर ने इसके लिए नक्सल बंदी, तेज बारिश, लोकसभा और राज्यसभा चुनाव, फंड की कमी और डीपीआर रिविजन को आधार बनाया.
सिर्फ 13 महीने प्रभावित रहा था काम
ऑडिट टीम से पुलिस, मौसम विभाग और पथ निर्माण विभाग के दस्तावेज से इंजीनियर द्वारा बताये गये कारणों और समय की जांच की. इसमें पाया गया कि इंजीनियर द्वारा बताये गये कारणों की वजह से सिर्फ 13 महीने (397) दिन काम प्रभावित रहा. इसमें नक्सल बंदी की वजह से 32 दिन, चुनाव की वजह से 44 दिन, डीपीआर रिविजन की वजह से 240 दिन शामिल है.
फंड नहीं होने की बाद ऑडिट में झूठी मिली
फंड नहीं होने की बाद ऑडिट में झूठी पायी गयी. क्योंकि इंजीनियर ने जिस अवधि में फंड नहीं होने की बात कही थी, जबकि उसी अवधि में ठेकेदार को 3.13 करोड़ का भुगतान किया था. एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंजीनियर द्वारा ठेकेदार को दिये गये कुल 5.69 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया. इसमें मूल्य वृद्धि का 3.73 करोड़, 1.96 करोड़ बतौर दंड की वसूली नहीं करना आदि शामिल है.
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