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रांची: नक्सल फ्रंट पर पुलिस बलों को मिली सफलता, चुनौती फिर भी है बरकरार

झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों की कार्रवाई से नक्सली घटनाओं में पिछले तीन वर्षों में 49 फीसदी की कमी दर्ज की गयी प्रणव सिंह रांची: नक्सल फ्रंट पर झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों को पिछले तीन-चार वर्षों में अच्छी सफलता मिली है. हालांकि तमाम दावों के बाद भी इस वर्ष भी नक्सल मुक्त झारखंड नहीं […]

झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों की कार्रवाई से नक्सली घटनाओं में पिछले तीन वर्षों में 49 फीसदी की कमी दर्ज की गयी
प्रणव सिंह
रांची: नक्सल फ्रंट पर झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों को पिछले तीन-चार वर्षों में अच्छी सफलता मिली है. हालांकि तमाम दावों के बाद भी इस वर्ष भी नक्सल मुक्त झारखंड नहीं हो पाया. इसकी वजह प्रतिबंधित संगठनों जैसे- भाकपा माओवादी, पीएलएफआइ और तृतीय प्रस्तुति कमेटी के बड़े नक्सलियों और सुप्रीमो की पकड़ से दूर रहना है.
भाकपा माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्यों में सुधाकरण, प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा, पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप और जिदन गुड़िया, तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी के ब्रजेश गंझू व अन्य अब भी पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं. नक्सली घटनाओं में पिछले तीन वर्षों में 49 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है.
2015 से अब तक कई बड़े नक्सलियों ने किया सरेंडर : वर्ष 2015 से अब तक कई बड़े नक्सलियों ने सरेंडर किया.इनमें लालदेव सिंह, अनिल सिंह, घुरा नाग, विमल गुड़िया, शंकर पासवान, सब जोनल कमांडर महेश यादव उर्फ बनारसी उर्फ रघुवंश, नरेंद्र यादव उर्फ नारे, सब जोनल कमांडर गजेंद्र साव उर्फ गज्जू साव, एरिया कमांडर कुलदीप मेहता, छोटा विकास उर्फ चश्मा, 15 लाख का इनामी बड़ा विकास, 25 लाख का इनामी कान्हू मुंडा, 15 लाख का इनामी नकुल यादव, पांच लाख का इनामी मदन यादव, पांच लाख का इनामी डिंबा पाहन, 15 लाख का इनामी कुंदन पाहन के नाम शामिल हैं. 2018 में जोनल कमांडर प्रकाश उरांव उर्फ दीपक, सब जोनल कमांडर वीरेंद्र यादव उर्फ शंकर यादव, जेजेएमपी आरसीएम सदस्य मंजीत साहू, सैक सदस्य सुनील सोरेन व जोनल कमांडर राजेंद्र उरांव व उपेंद्र सिंह खरवार सरेंडर कर चुके हैं.
2005 से अब तक गिरफ्तार बड़े नक्सली : 2005 में गढ़वा के रंका से भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर हंसराज अहीर उर्फ मुरारी कहार व 2006 में रंका से ही जोनल कमांडर बालेश्वर उरांव उर्फ विनय उरांव और रामदीनी भुइयां को गिरफ्तार किया गया था. फिर 2007 में हजारीबाग के केरेडारी से जोनल कमांडर भागीरथ महतो उर्फ रघुनाथ और गढ़वा के मेराल से राम इकबाल पाल उर्फ अवधेश को गिरफ्तार किया गया.
2008 में जोनल कमांडर प्रमोद सिंह उर्फ कनकट्टा धराया. इसी तरह 20017 में पलामू में जोनल कमांडर राम सुंदर राम उर्फ आलोक और चतरा के टंडवा में तृतीय प्रस्तुति सम्मेलन कमेटी का जोनल कमांडर अनिश उर्फ करमपाल गिरफ्तार किया गया. नवंबर 2017 में चाईबासा में 25 लाख का इनामी नक्सली संदीप दा को एक फुटबॉल मैच के दौरान पकड़ने में सफलता मिली. 2018 में सैक सदस्य सुनील सोरेन को गिरफ्तार किया गया.
राज्य में चला नक्सल अभियान और पुलिस की कार्रवाई एक नजर में
ब्योरा 2001 2002 2003 2004 2005 2006 2007 2008 2009 2010 2011 2012 2013 2014 2015 2016 2017 2018
गिरफ्तार नक्सली 475 380 274 350 379 395 413 494 445 569 491 316 550 516 458 526 522 246
सरेंडर नक्सली 00 00 00 00 00 00 00 00 00 19 15 07 17 12 13 38 43 06
पुलिस हथियार बरामद 12 12 08 19 13 22 43 40 12 24 13 10 10 25 30 19 33 57
रेगुलर हथियार बरामद 115 101 37 78 19 37 36 54 37 38 19 17 20 09 13 09 09 07
देशी हथियार बरामद 385 199 94 133 127 106 123 213 159 263 236 227 238 267 263 311 182 137
नक्सली ट्रेनिंग कैंप धवस्त 07 01 02 06 07 05 05 06 04 08 08 00 01 01 00 00 00 03
बंकर धवस्त 20 05 07 02 06 14 17 02 00 11 08 04 04 03 02 01 00 08
मिनीगन फैक्ट्री धवस्त 04 02 01 04 00 00 00 00 00 00 03 00 01 06 01 00 00 02
किस रैंक के कितने नक्सली हुए गिरफ्तार
एरिया कमांडर 334
सब जोनल कमांडर 210
जोनल कमांडर 74
सैक 29
रीजनल कमेटी सदस्य 12
सेंट्रल कमेटी सदस्य 03

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