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रांची : उषा मार्टिन के पूर्व चेयरमैन घूम रहे हैं दागी के साथ, क्या उनकी मंशा उषा मार्टिन, टाटीसिलवे रांची प्लांट बंद कराने की है?

रांची : उषा मार्टिन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन बसंत कुमार झवर व उनके पुत्र प्रशांत झवर दागियों के साथ घूम रहे हैं. पूर्व चेयरमैन बसंत झवर के रांची आगमन के बाद उनके अासपास दागी लोग देखे जा रहे हैं. पिता-पुत्र (बसंत झवर व प्रशांत झवर) राज्य में अौद्योगिक वातावरण खराब करने के लिए दागी लोगों […]

रांची : उषा मार्टिन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन बसंत कुमार झवर व उनके पुत्र प्रशांत झवर दागियों के साथ घूम रहे हैं. पूर्व चेयरमैन बसंत झवर के रांची आगमन के बाद उनके अासपास दागी लोग देखे जा रहे हैं. पिता-पुत्र (बसंत झवर व प्रशांत झवर) राज्य में अौद्योगिक वातावरण खराब करने के लिए दागी लोगों के सहयोग से भ्रामक प्रचार कर रहे हैं.
उषा मार्टिन वायर व वायर रोप डिवीजन, टाटीसिलवे रांची को बंद कराने की साजिश रची जा रही है. कारखाने के कर्मचारियों में भ्रामक व तथ्यहीन बातें फैलायी जा रही है. इनका मकसद कर्मचारियों में असंतोष फैलाना तथा कारखाने को अार्थिक संकट में धकेलना है.
स्टील इंडस्ट्री की हालत सबको मालूम है. यह मुश्किल दौर से गुजर रही है. नामचीन स्टील कंपनियां जैसे- भूषण स्टील, अाधुनिक स्टील व इलेक्ट्रो स्टील एनसीएलटी की इकाइयां दिवालिया घोषित होने के बाद या तो बिक गयी हैं या बिकने के कगार पर हैं. इन सभी कंपनियों में बैंकों का काफी नुकसान हुआ है क्योंकि बैंकों की कुल बकाया राशि में से माफ करने (हेयरकट) के बाद ही नये खरीदार इन्हें लेने को तैयार हुए हैं.
उषा मार्टिन ग्रुप ने अपने जमशेदपुर स्थित जिस स्टील डिवीजन को टाटा ग्रुप की कंपनी को बेचने का निर्णय लिया, उसमें कई बातें प्रमुख हैं. पहला – पूरे ट्रांजैक्शन (लेनदेन) में बैंकों व वित्तीय संस्थाअों को एक रुपया का भी नुकसान नहीं हुआ है. दूसरा – यह बिक्री टाटा ग्रुप की एक कंपनी टाटा स्पांज को की गयी है. यह सबको मालूम है कि टाटा समूह कर्मचारी हित में काम करने वाली कंपनी है.
तीसरा – इस डील में सभी स्टेक होल्डर के सभी प्रकार के हितों का ध्यान रख कर समुचित सुरक्षा दी गयी है. खास कर कर्मचारियों की सुरक्षा. चौथा- इस डील के बाद उषा मार्टिन लगभग ऋण मुक्त हो जायेगी तथा इसका बैलेंस शीट सुधर जायेगा.
पांचवां – यह निर्णय उषा मार्टिन वायर एंड वायर रोप डिवीजन, जो टाटीसिलवे रांची में स्थित है, की सेहत के लिए काफी अच्छी रहेगी. स्टील डिवीजन के बड़े नुकसान का असर इस पर नहीं पड़ेगा. छठा- अब उषा मार्टिन प्रबंधन वायर रोप डिवीजन पर फोकस कर इसे बढ़ाने का काम करेगा.
दरअसल ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रहे बसंत कुमार झवर व इनके पुत्र प्रशांत झवर ने, जब अगस्त-2016 में उषा मार्टिन ग्रुप (स्टील डिवीजन) बेहद बुरे दौर से गुजर रहा था, तब बिना किसी की जानकारी के अचानक उषा मार्टिन ग्रुप के वायर एंड वायर रोप डिवीजन को 1350 करोड़ में बेचने का प्रस्ताव बोर्ड के समक्ष लाया था.
चूकि यह प्रस्ताव बिना किसी वित्तीय समझदारी के लाया गया था, इसलिए बोर्ड ने इसे खारिज कर दिया. इसमें दोनों पिता-पुत्र (बसंत कुमार झवर व प्रशांत झवर) की मंशा ठीक नहीं थी. दरअसल वायर रोप डिवीजन को कौड़ियों के भाव बेचने की तैयारी थी.
इससे बाकी बची कंपनियों का भला नहीं होने वाला था. बोर्ड को यह भी लगा कि इस डील के बाद स्टील डिवीजन की वित्तीय देनदारी व ब्याज के लिए मुनाफा सुरक्षित नहीं रहेगा. पूरा ग्रुप डूब जायेगा तथा दिवालियापन व आर्थिक संकट में फंस जायेगा.
इसी बोर्ड मीटिंग में प्रशांत झवर, जो उस समय उषा मार्टिन ग्रुप के चैयरमैन थे, को बोर्ड ने निष्कासित कर दिया. यहां उल्लेखनीय है कि बोर्ड अॉफ डायरेक्टर्स (निदेशक मंडल) का निर्णय बैंकों के बहुमत के बाद लिया गया था, जिसमें ब्रज किशोर झवर व उनके पुत्र राजीव झवर ने वोट नहीं दिया था.
सूत्रों के अनुसार बैंकर्स ने यह निर्णय इसलिए भी लिया, क्योंकि बसंत झवर व प्रशांत झवर ने अपने कुछ शेयर बैंकों के बढ़ते ऋण के एवज में गिरवी रखने के लिए जो एकरारनामा किया था, उससे मुकर गये थे. इन दोनों प्रकरणों को जोड़ कर देखा जाये, तो स्थिति स्पष्ट हो जायेगी.
पिता-पुत्र (बसंत कुमार झवर व प्रशांत झवर) की मंशा ठीक नहीं थी. वे कंपनी के हितों के खिलाफ काम कर रहे थे. कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे थे.दरअसल प्रशांत झवर ने जिस किसी कारोबार में हाथ डाला, वह कभी सफल नहीं हुआ. वो सभी कंपनियां अंतत: डूब गयीं.
जैसे उषा मार्टिन इंफोर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी (सॉफ्टवेयर), एजुकेशन (उषा मार्टिन एजुकेशन एंड सॉल्यूशन), रीयल स्टेट (उषा ब्रेको रियलिटी), वाहन ऋण (सुमितोमो उषा मार्टिन फाइनांस), उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी, जो उषा मार्टिन ग्रुप के तहत संचालित है. इसमें वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार हेमंत गोयल को दे दिये गये हैं. प्रशांत झवर नाम मात्र के कागजी चांसलर हैं.
गत एक वर्ष में स्टील इंडस्ट्री में सुधार हुआ है, नतीजतन उषा मार्टिन स्टील डिवीजन की हालत सुधरने लगी है. ऐसे में यह अारोप लगाना कि उषा मार्टिन में वित्तीय हेराफेरी या कर्मचारियों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, गलत है.
यह सब राजीव झवर जो उषा मार्टिन के प्रबंध निदेशक हैं, उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. बसंत झवर, जो अपने को फिलानथ्रोपिस्ट (लोक उपकारी) बताते हैं, दरअसल उनका मकसद केवल उषा मार्टिन ग्रुप की जमीन बेच कर पैसे उगाहने की है. इसके कई उदाहरण हैं.
जैसे केजीवीके (कृषि ग्राम विकास केंद्र), जो कि राज्य की एक अग्रणी व प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्था है, इसकी करीब चार एकड़ जमीन बेचने के लिए पिता-पुत्र (बसंत झवर व प्रशांत झवर) ने बोर्ड में प्रस्ताव लाया था. केजीवीके एग्रो (डेयरी, कृषि व अन्य) को ध्वस्त कर दिया गया.
डेयरी मेडो को बेच दी गयी. हद तो तब हो गयी, जब पिता-पुत्र (बसंत झवर व प्रशांत झवर) की नजर शालिनी मेमोरियल अस्पताल, अनगड़ा व रुक्का की जमीन पर पड़ गयी. सुदूर इलाके में अवस्थित इन दोनों अस्पतालों में गरीबों का इलाज मामूली शुल्क लेकर किया जाता है. यहां आसपास कोई चिकित्सा सुविधा भी नहीं है.
केजीवीके की बोर्ड मीटिंग में बसंत कुमार झवर ने शालिनी मेमोरियल हॉस्पिटल के इन दोनों अस्पतालों को बंद करने का प्रस्ताव रखा था, क्योंकि दोनों अस्पताल नुकसान में चल रहे थे. लेकिन, श्री ब्रजकिशोर झवर ने इसका पुरजोर विरोध किया. उन्होंने कहा कि अस्पताल किसी भी कीमत पर बंद नहीं होने चाहिए.
अगर जरूरत पड़ी, तो वह इसे अपने निजी संसाधनों से चलाये रखना चाहेंगे. आज उन्हीं की इस कोशिश से ये दोनों अस्पताल सुचारु रूप से चल रहे हैं और गरीबों व जरूरतमंदों को बहुत कम शुल्क पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं.
बांटे जा रहे हैं भ्रामक व निम्न स्तरीय पंपलेट
बसंत झवर के रांची आगमन के एक दिन पहले उषा मार्टिन के कर्मचारियों के बीच भ्रामक व निम्न स्तरीय पंपलेट बांटे जा रहे हैं. इसके सारे तथ्य गलत हैं. इसका मकसद केवल वायर एंड वायर रोप डिवीजन के कर्मचारियों के बीच असंतोष फैलाना तथा अन्य स्टेक होल्डरों का अहित करने सहित कारखाने को संकट की अोर धकेलना है.
पर फोन रिसीव नहीं किया
इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया जानने के लिए बसंत झवर के मोबाइल नंबर 9831225381 पर जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
चारा घोटाले में जेल जा चुका है प्रणव बब्बू
प्रणव कुमार बब्बू चर्चित चारा घोटाले का अभियुक्त है. पशु माफिया के संपर्क मे आने के बाद वह पशुपालन विभाग में आपूर्ति करने लगा था. इसके लिए उसने अपनी मां के नाम पर व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाया था.
चारा घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद जब सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की, तो बब्बू के चारा घोटाले में शामिल होने की जानकारी मिली. आयकर विभाग की अनुसंधान शाखा ने मामले की जांच के दौरान बब्बू की मां से पूछताछ की.
इसमें उन्होंने अपने नाम पर किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान के होने की बात से इनकार किया. प्रतिष्ठान के दस्तावेज पर किये हस्ताक्षर के भी उसके होने से इनकार किया. इसके बाद आयकर ने बब्बू से पूछताछ की. इसमें उसके द्वारा अपनी मां के नाम पर आपूर्ति करने की पुष्टि हुई.
सीबीआइ ने बब्बू की लिखावट की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच करायी. इसमें इस बात की पुष्टि हुई कि सप्लाई से जुड़े दस्तावेज पर बब्बू के ही हस्ताक्षर हैं. फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआइ ने चारा घोटाले में उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. वह चारा घोटाले में जेल भी जा चुका है.

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