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रांची : ट्रॉमा सेंटर का ऑपरेशन थिएटर दोयम दर्जे का यहां मॉड्यूलर ओटी की जरूरत : डॉ डीके सिंह

रिम्स के नवनियुक्त निदेशक ने पहली बार लिया अस्पताल की व्यवस्था का जायजा रांची : रिम्स निदेशक डॉ डीके सिंह गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे नवनिर्मित ट्रॉमा सेंटर एवं इमरजेंसी बिल्डिंग का जायजा लेने पहुंचे. यहां उन्होंने भवन के अंदर मौजूद विभिन्न यूनिटों का निरीक्षण किया. खास बात यह है कि डॉ सिंह को ट्रॉमा […]

रिम्स के नवनियुक्त निदेशक ने पहली बार लिया अस्पताल की व्यवस्था का जायजा
रांची : रिम्स निदेशक डॉ डीके सिंह गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे नवनिर्मित ट्रॉमा सेंटर एवं इमरजेंसी बिल्डिंग का जायजा लेने पहुंचे. यहां उन्होंने भवन के अंदर मौजूद विभिन्न यूनिटों का निरीक्षण किया. खास बात यह है कि डॉ सिंह को ट्रॉमा सेंटर की स्थापना और संचालन का लंबा अनुभव है. ऐसे में उन्होंने पहली नजर में ही यहां की कई कमियां पकड़ लीं.
उन्होंने पाया कि ट्रॉमा सेंटर के कई कमरे काफी छोटे बनाये गये हैं, जबकि इनका दायरा बड़ा होना चाहिए था. जेनरल वार्ड में चार बेड होने चाहिए थे, लेकिन यहां छह बेड लगाये गये हैं. यह देख डॉ सिंह ने संबंधित अधिकारियों से सवाल किया : यहां छह बेड लगाये गये हैं, ऐसे में मरीज की ट्रॉली वार्ड में कैसे आयेगा? यहां केवल चार बेड ही होने चाहिए. रिम्स निदेशक ने कहा कि सीटी स्कैन और सीएसइडी भी काफी छोटा है. रेडियोलॉजी जांच के लिए बनायी गयी यूनिट से भी निदेशक असंतुष्ट दिखे. उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को कहा कि उक्त यूनिट में न तो सीटी स्कैन मशीन है और न ही अन्य जरूरी मशीनों को इंस्टॉल किया जा सकता है. उन्होंने रेडियोलॉजी यूनिट को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने का आदेश दिया.
ट्रॉमा सेंटर में लिक्विड गैस की व्यवस्था का आदेश दिया : ट्राॅमा सेंटर और इमरजेंसी में फिलहाल गैस सिलिंडर के जरिये मरीजों को ऑक्सीजन देने की व्यवस्था की गयी है. रिम्स निदेशक इससे असंतुष्ट दिखे. उन्होंने यहां लिक्विड गैस की व्यवस्था करने का अादेश दिया है. कहा कि गैस सिलिंडर के जरिये ऑक्सीजन की खरीद में होनेवाले खर्च से आधे में हम लिक्विड गैस की व्यवस्था कर ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं. उन्होंने ऑक्सीजन बैकअप की व्यवस्था की भी जानकारी ली और रिम्स के प्रशासनिक भवन का भी जायजा लिया. निरीक्षण के बाद निदेशक ने कहा कि रिम्स प्रबंधन जल्द ही झारखंड स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन को पूरी व्यवस्था के बारे में लिखित जानकारी देगा. उन्होंने रेडियोलॉजी विभाग को भी रिपोर्ट बनाकर भेजने को कहा है.
छह माह में चालू हो जायेगा ट्रॉमा सेंटर: निरीक्षण के बाद रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने कहा कि रिम्स प्रबंधन ने ट्राॅमा सेंटर व इमरजेंसी में नियुक्ति का रोस्टर से संबंधित प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को भेजा है. इस पर विभाग की मुहर लगने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया में लगभग पांच महीने का वक्त लगेगा. उम्मीद है कि ट्रॉमा सेंटर को छह माह के अंदर चालू कर दिया जायेगा. निदेशक ने वार्ड में जरूरी फेरबदल को लेकर आदेश दिये हैं, जिन्हें जल्द से जल्द अमल में लाया जायेगा.
रांची : रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने गुरुवार को इमरजेंसी का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने पाया कि माइनर ओटी का डस्टबिन पान और गुटखे की पिक से लाल हो चुका है. उन्होंने इमरजेंसी में कर्मचारियों और जूनियर डॉक्टरों से पूछा : ये कौन लोग हैं, जिन्होंने माइनर ओटी को पीकदान बना रखा है?
निदेशक ने तत्काल उक्त डस्टबिन को हटाने का आदेश दिया. साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया कि सात दिनों के अंदर इमरजेंसी में सारी व्यवस्था को दुरुस्त कर लें. इसके बाद निदेशक ने रिम्स परिसर स्थित दवाई दोस्त का भी निरीक्षण किया. यहां उन्होंने दुकान के संचालक से दुकान में मौजूद दवाओं की सूची मांगी. उन्होंने रिम्स के जेनेरिक दवा स्टॉल का भी निरीक्षण किया.
रांची : रिम्स और सदर अस्पताल में एंटी रेबिज का इंजेक्शन खत्म हो गया. इस वजह से मरीजों को लौटना पड़ रहा है. गुरुवार को पलामू के पांकी निवासी रंजन को रिम्स में एंटी रेबिज का इंजेक्शन नहीं मिला. वह सुबह से ही रिम्स के चक्कर लगा रहा था.काफी देर बाद उसे इमरजेंसी में बताया गया कि इंजेक्शन नहीं है. इससे पहले वह सदर अस्पताल भी गया था, लेकिन वहां भी इंजेक्शन नहीं मिला. पलामू निवासी 55 वर्षीय उमेश कुमार को भी एंटी रेबिज की इंजेक्शन नहीं मिला. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ वीवी प्रसाद ने कहा कि इंजेक्शन चार दिसंबर को ही खत्म हो चुका था. लेकिन, गुरुवार को इंजेक्शन स्टोर में आ गया है. शुक्रवार से इंजेक्शन मिलने लगेगा.

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