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रांची : करोड़ों खर्च, नतीजा सिफर, लोगों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है जिला अस्‍पतालों में बनी बर्न यूनिट

बर्न यूनिट के संचालन के लिए न तो मैनपावर है और न ही उपकरण बिना उपयोगिता के बना दी गयी पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह में नहीं बनी है बर्न यूनिट रांची : स्वास्थ्य विभाग द्वारा चार जिलों पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह को छोड़ सभी जिला अस्पतालों में बर्न यूनिट बना दी गयी है. […]

  • बर्न यूनिट के संचालन के लिए न तो मैनपावर है और न ही उपकरण
  • बिना उपयोगिता के बना दी गयी
  • पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह में नहीं बनी है बर्न यूनिट
रांची : स्वास्थ्य विभाग द्वारा चार जिलों पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह को छोड़ सभी जिला अस्पतालों में बर्न यूनिट बना दी गयी है. पीएमसीएच में भी यह यूनिट बनायी गयी है. इन सभी 21 यूनिट पर प्रति यूनिट 1.34 करोड़ के आधार पर करीब 28 करोड़ रुपये खर्च हुए या होंगे. इसमें से 83 लाख रुपये भवन के लिए तथा शेष उपकरण के लिए हैं.
पर विभाग ने निर्माण लागत से अधिक राशि निर्माण एजेंसियों को दे दी. चार जिलों खूंटी, लातेहार, गढ़वा व गिरिडीह के लिए तो एक-एक करोड़ से अधिक राशि दे दी गयी. इसके बाद ठेकेदारों ने ही इन जिलों में उपकरण भी खरीदे हैं, जो बेकार पड़े हैं. इधर, राज्य सरकार के फंड से हुए इस काम पर कई अधिकारी पहले से सवाल उठा रहे हैं कि बर्न इंज्यूरी के इतने मरीज हैं कहां.
वहीं, जो बर्न यूनिट बनी हैं, इनके संचालन के लिए न तो मैनपावर है और न ही अब तक सबके लिए उपकरण खरीदे गये हैं. रांची के सदर अस्पताल में बनी बर्न यूनिट भी बेकार पड़ी है. तत्कालीन मंत्री राजेंद्र सिंह तथा सचिव बीके त्रिपाठी के कार्यकाल में सभी यूनिट पर काम शुरू हुआ था. स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियरिंग सेल तथा भवन निर्माण विभाग द्वारा बनायी जा रही ज्यादातर बर्न यूनिट का काम पूरा हो गया है. जिन चार जिलों में यूनिट नहीं बन सकी है, वहां इसका निर्माण नहीं कराने के निर्देश जुलाई 2018 में विभागीय अधिकारियों ने दिये.
केंद्र सरकार ने क्या दिया था निर्देश
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अपनी गाइड लाइन में पहले मेडिकल कॉलेजों में ही बर्न यूनिट बनाने का निर्देश दिया था. पर झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने पीएमसीएच के अतिरिक्त जिलों में भी बर्न यूनिट बना दी. रांची के रिम्स में बर्न यूनिट पहले से है, उसे अपग्रेड किया जाना है. पर यह काम न करके सदर अस्पताल, रांची में करीब 50 फुट गुना 30 फुट की नयी बर्न यूनिट बना दी गयी है, जो बंद पड़ी है. बर्न यूनिट बनाने में यूनिट के क्षेत्रफल, बेड व अन्य सुविधाओं संबंधी नॉर्म्स का भी पालन नहीं हुआ है. उधर, एमजीएम जमशेदपुर में भी यूनिट नहीं बनी है.
ठेकेदारों ने ही खरीदे उपकरण
कुछ जिलों में अस्पताल का निर्माण करने वाले ठेकेदारों ने ही बर्न यूनिट के लिए उपकरण भी खरीदा है. तत्कालीन सचिव बीके त्रिपाठी के बाद जब के विद्यासागर फिर से स्वास्थ्य सचिव बने तथा जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के एमडी, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य तथा इंजीनियरिंग विंग के मुख्य अभियंता को एक बफशीट (16 मार्च 2016) लिखी थी. इसमें कहा गया था कि बर्न यूनिट व ब्लड बैंक के लिए उपकरण खरीदना विशेषज्ञता का मामला है.
इस खरीद में मशीनों व उपकरणों की क्वालिटी व स्टैंडर्ड के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. यह काम सिविल कार्य कराने वाले ठेकेदार के बूते के बाहर है. इसलिए इन उपकरणों की खरीद विभाग के खरीद व निर्माण निगम (प्रोक्योरमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन) से ही होनी चाहिए.

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