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रांची के मल्टीप्लेक्स, जहां सिनेमा के टिकट से महंगे मिलते हैं समोसे, पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक्स और पानी

सुविधा और मेंटनेंस के नाम पर लूट रहे मल्टीप्लेक्स राहुल गुरु रांची : शहर में राष्ट्रीय स्तर के छह मल्टीप्लेक्स हैं. सभी में फूड कोर्ट की सुविधा है. पर यहां खाने-पीने की चीजों के नाम पर लूट मची है. इनमें से एक मल्टीप्लेक्स की कैंटीन आउटसोर्सिंग से और बाकी की खुद की कैंटीन है. इन […]

सुविधा और मेंटनेंस के नाम पर लूट रहे मल्टीप्लेक्स
राहुल गुरु
रांची : शहर में राष्ट्रीय स्तर के छह मल्टीप्लेक्स हैं. सभी में फूड कोर्ट की सुविधा है. पर यहां खाने-पीने की चीजों के नाम पर लूट मची है. इनमें से एक मल्टीप्लेक्स की कैंटीन आउटसोर्सिंग से और बाकी की खुद की कैंटीन है.
इन मल्टीप्लेक्स में कार्यरत लोगों का कहना है कि यदि हम चीजों की कीमत सामान्य मार्केट रेट के अनुरूप रखेंगे, तो हमारे लिए मेंटनेंस का खर्च भी नहीं निकलेगा. मल्टीप्लेक्स से जुड़े लाेग बताते हैं कि पहले की तरह अब टिकटों के लिए मारामारी नहीं होती है. हाउसफुल वाली बात नहीं के बराबर हो गयी है. ऐसे में साफ-सफाई, एसी सहित अन्य मेंटेनेंस का खर्च केवल सिनेमा के टिकट से निकालना संभव नहीं है. इसके अलावा तमाम तरह के अतिरिक्त टैक्स भी हमें देने होते हैं. इन वजहों से भी फूड आइटम्स की कीमत सामान्य दर से अधिक रखनी पड़ती है.
एमआरपी के बाद भी वसूलते हैं मनमाना दाम
नियम के मुताबिक किसी भी पैकेज्ड आइटम की एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) से अधिक कीमत नहीं ली जा सकती है. इसके बावजूद मल्टीप्लेक्स में पैकेट बंद फूड आइटम, पानी आदि पर ग्राहकों से मनमाना दाम वसूला जाता है. मिसाल के तौर पर मल्टीप्लेक्स में अधिकतम 20 रुपये के पानी के बोतल के लिए ग्राहकों को 40 से 45 रुपये तक देने होते हैं. जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार ने लीगल मेट्रोलॉजी 2011 नियमों में बदलाव किये हैं. जिसके तहत एमआरपी से ज्यादा पैकेज्‍ड पानी पर कीमत नहीं वसूल सकते हैं.
एयरपोर्ट, मल्टीप्लेक्स, होटलों में एक ही सामान पर दो अलग एमआरपी नहीं लगाया जा सकता है. अगर कोई एक ही सामान पर दो अलग-अलग एमआरपी लगाता है, तो मैन्युफैक्चरर्स और रिटेलर्स के खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया है. रिटेलर्स पर 15,000 रुपये और मैन्युफैक्चरर्स पर 50,000 रुपये तक जुर्माना लग सकता है.
केस स्टडी
फिल्म टिकट से ज्यादा पेप्सी-पॉपकार्न की कीमत
कांके रोड के रहने वाले पेशे से शिक्षक राजेंद्र शुक्ला अपनी पत्नी के साथ शहर के सबसे बड़े मॉल में स्थित एक मल्टीप्लेक्स से सिनेमा देख कर निकल रहे थे. उन्होंने बताया : मैंने शाम के 6.30 बजे गोल्ड मूवी की दो टिकट ली. प्राइम नाम की सबसे अच्छी सीट के लिए मैंने 320 रुपये खर्च किये. फिल्म के इंटरवल में मुझे कुछ खाने की इच्छा हुई, तब मैंने वहीं मौजूद फूड कोर्ट से 90 ग्राम पॉपकॉर्न व 600 एमएल पेप्सी ली.
90 ग्राम पॉपकाॅर्न के लिए 142.86 रुपये के साथ 3.57 रुपये जीएसटी जोड़कर 150 रुपये दिये. वहीं 600 एमएल पेप्सी के लिए 266.68 रुपये के साथ 6.66 रुपये जीएसटी जोड़कर 280 रुपये दिये. इस तरह से मुझे कुल 430 रुपये देने पड़े. हमने जितने रुपये खर्च कर फिल्म नहीं देखी, उससे अधिक खाने पर खर्च करना पड़ा.
समोसा 12 गुना और पॉपकार्न 15 गुना महंगा
शहर में मौजूद सभी मल्टीप्लेक्स में फूड आइटम की कीमत 10 से 15 गुना तक महंगा बेचा जाता है. सामान्य मार्केट में जिस समोसे से कीमत पांच से 10 रुपये के बीच होती है, वह मल्टीप्लेक्स में 60 रुपये की हो जाती है.
इसी तरह सबसे ज्यादा बिकनेवाला प्लेन पॉपकॉर्न की बाजार में कीमत अधिकतम 30 रुपये तक होती है, जो विभिन्न फ्लेवर के नाम पर मल्टीप्लेक्स में 250 रुपये तक चली जाती है. पानी की बोतल, जिसकी सामान्य कीमत खुले बाजार में अधिकतम 20 रुपये होती है, उसके लिए ग्राहकों को मल्टीप्लेक्स में 45 रुपये तक देना पड़ जाता है.
इस पर ग्राहकों का कहना है कि पहले की अपेक्षा अब सिनेमाघरों में सुविधाएं ज्यादा मिलती हैं. इन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हमें जेब थोड़ी ढीली तो करनी पड़ेगी, फिर भी सवाल जरूरी है कि ओपेन मार्केट के कितना ज्यादा देना होगा. कुछ तो अधिकतम दर तय होनी ही चाहिए.
ऐसी है कीमत
आइटम बाजार में मल्टीप्लेक्स में
पॉपकॉर्न 20 से 30 150 से 250
पेस्ट्री 30 से 45 150 से 180
पिज्जा 120 से शुरू 160 से शुरू
समोसा पांच से 10 40 से 60
बर्गर 100 से 110 170 से 200
कोल्ड ड्रिंक 20 90 रु न्यूनतम
पानी बोतल 15 से 20 40 से 60
पैटीज 30 से 50 110 से 140
पास्ता 110 से 120 180 से 200
(नोट : ये कीमतें शहर के विभिन्न मल्टीप्लेक्स से ग्राहकों से बातचीत व स्टोर ब्वॉय से पूछताछ पर आधारित है. कीमत रुपये में है.)
कोर्ट में आ चुका है मामला
उपभोक्ता हित के इस मामले में बांबे हाइकोर्ट ने अप्रैल 2018 के पहले हफ्ते में मल्टीप्लेक्सों को फटकार भी लगायी है. कोर्ट ने कहा कि इस थिएटर्स का काम फिल्म दिखाना है, खाने-पीने की चीजें बेचना नहीं. जब विमान में घर का खाना ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होती है, तो मल्टीप्लेक्स में क्या परेशानी है.
इसी तरह जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट भी दर्शकों को बाहर से खाना ले जाने की इजाजत दी है. वहीं, दिल्ली सरकार को भी इस मामले में नोटिस मिल चुका है तथा सरकार से इस मामले में जवाब मांगा गया है. हालांकि, इस फैसले को लेकर अपील अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया में है तथा सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है.
पांच साल तक रहता है टैक्स फ्री
जानकारों के मुताबिक प्रत्येक मल्टीप्लेक्स को अपनी ओपनिंग तिथि से अगले पांच साल तक किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता है. जब मल्टीप्लेक्स टैक्स फ्री होते हैं, इसके बावजूद मनमाना कीमत वसूलते हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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