रांची : सोमवार (23 अप्रैल, 2018) से शुरू हो जायेगा ‘आंदोलन सप्ताह’.जी हां,23अप्रैल से 29 अप्रैल तक राज्य में आंदोलनों का दौर चलेगा. आधिकारिक रूप से इसे ‘आंदोलन सप्ताह’ का नाम तो नहीं दिया गया है, लेकिन अलग-अलगसंगठन अलग-अलग मांगों को लेकरपूरेसप्ताह आंदोलनकरेंगे.इसलिएइस सप्ताह को ‘आंदोलन सप्ताह’ कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. शुरुआत सोमवार को कुर्मी विकास मोर्चा व आंदोलनकारी मंच के ‘झारखंड बंद’ और शिक्षकों के मुख्यमंत्री का आवास घेरने से होगी. 29 अप्रैल को कुर्मियों के महाजुटान के साथ इस आंदोलन सप्ताह का अंत होगा. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की माथापच्ची तो होगी ही, आम लोग भी बुरी तरह परेशान होंगे.
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24 और 25 अप्रैल को आदिवासी जाति रक्षा समन्वय समिति कुर्मी को एसटी का दर्जा देने का विरोध शुरू करेगा. दोनों दिन मशाल जुलूस निकालेगा और 26 अप्रैल को रांची में बड़ी रैली होगी. इस दौरान कुर्मियों के आंदोलन की भी अंदर-अंदर तैयारी जारी रहेगी, क्योंकि 29 अप्रैल को मोरहाबादी में कुर्मी महाजुटान की तैयारी है. इस मंच से कुर्मी नेता किसी बड़े आंदोलन का एलान कर सकते हैं.
इधर, झारखंड बंद को सफल बनाने के लिए राजधानी रांची समेत सभी जिला मुख्यालयों, प्रखंडों, गांव-कस्बों में रविवार की शाम को मशाल जुलूस निकाला जायेगा. टोटोमिक कुर्मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग पर हो रहे इस बंद को असरदार बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की गयी है. कुर्मी नेता अपने-अपने स्तर पर जरूरी दिशा-निर्देश भी दे रहे हैं, ताकि आंदोलन को सफल बनाया जा सके.
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बंद की पूर्व संध्या पर मोर्चाने रविवार की शाम छह बजे जयपाल सिंह स्टेडियम से अलबर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला. कुर्मी विकास मोर्चा के केंद्रीय मीडिया प्रभारी ओमप्रकाश महतो ने कहा कि इस बंद में राज्य भर के कुर्मी समाज के लोग भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि कुर्मियों की संस्कृति, रहन-सहन और भाषा आदिवासी की तरह ही है, तो इस समुदाय को एसटी में क्यों नहीं शामिल किया जा रहा. बंद समर्थकों ने बताया कि बंद को सफल बनानेकेलिए हर गांव में 20 युवाओं की कमेटी बनायी गयी है.
आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती, जब तक कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किया जाता है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.पूरे प्रदेश मेंबड़ेपैमाने पर लोगों को आंदोलन के लिए तैयार किया जा रहा है. सभी दलों के कुर्मी नेता का समर्थन इस आंदोलन को प्राप्त है. भले वे प्रत्यक्ष रूप से आंदोलन को समर्थन न दे रहे हों, परोक्ष रूप से सभी दलों के नेता आंदोलन के साथ हैं. गुपचुप तरीके से जनसंपर्क अभियान भी चला रहे हैं.