पिछले साल 25-30 फुट पर था पानी का लेयर, अब 35 से 40 फुट हो गया है पार
6 मईफोटो संख्या- 04, 05
कैप्शन- खराब पड़ा चापाकल, सूखता तालाबप्रतिनिधि, पाकुड़
मई का महीना चल रहा है. सूर्य की तेज तपिश से लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है. हालांकि दो दिनों से मौसम में बदलाव से लोगों को गर्मी से राहत मिली है, लेकिन भूमि जलस्तर में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. तालाब व कुआं सूखने के कगार पर पहुंचने लगे हैं. लोगों को पेयजल की भी चिंता सताने लगी है. लोग सुबह होते ही पानी की जुगाड़ में चापानल पर लंबी-लंबी लाइन लगना शुरू कर दिए हैं. यह पानी के लेयर में गिरावट का संकेत है. पानी का लेयर कम होना इस बात के संकेत हैं कि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में लोगों के समक्ष जल संकट एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकती है. माना जा रहा है कि बदले पर्यावरण के कारण बारिश की मात्रा निरंतर कम होती जा रही है. इससे भू-जल पर्याप्त नहीं हो पाता है. वहीं भू जल का दोहन किया जा रहा है. परिणाम स्वरूप पानी का स्तर नीचे जाने लगा है. बात करते हैं हीरानंदनपुर पंचायत के महुआडंगा की. यहां पर भी वही स्थिति है. लोगों का मानना है कि पिछले वर्ष 30 फुट कुआं खुदवाने पर पानी प्राप्त हो जा रहा था, जिससे लोगों का काम चल जा रहा था, लेकिन अभी गर्मी की शुरुआत हुई है 30 फुट वाला कुआं सूखने के कगार पर है. अधिकतर कुआं सूख गये है. यूं कहा जाए तो पिछले साल की तुलना में कहीं कहीं जलस्तर करीब 5 फुट गिरा है. पिछले साल 25 से 30 फुट पर लेयर था. अब 35 से 40 पर चला गया है. कहीं-कहीं पर अभी से ही चापाकल से पानी निकलना कम हो गया है. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर खराब चापाकलों की मरम्मत कराई जा रही है.घटते जलस्तर आने वाली पीढ़ी के लिए चिंता
घट रहे जलस्रोत आनेवाली पीढ़ियों के लिए निश्चित रूप से चिंता का विषय है. तालाब व कुआं के सूखने का क्रम जारी है. जरूरत है जन जागरुकता अभियान की. जल संकट से बचाव के लिए सामाजिक व विभागीय स्तर से जन जागरुकता अभियान चलाने की सख्त जरूरत है. वहीं जल संरक्षण पर भी काम करने की आवश्यकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है