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लाह की खेती बनी ग्रामीणों की आजीविका का सहारा, हो रही लाखों की आमदनी

लाह की खेती बनी ग्रामीणों की आजीविका का सहारा, हो रही लाखों की आमदनी

किस्को़ किस्को प्रखंड क्षेत्र के हिसरी पंचायत के बड़चोरगाई और छोटचोरगाई गांव में लाह की खेती में लगातार वृद्धि हो रही है. महिलाएं लाह की कटाई कर पेड़ों में लगाने की प्रक्रिया में तेजी से जुटी हैं. बीज वितरण का कार्य भी शुरू हो चुका है, जिससे महिलाओं को बेहतर आमदनी हो रही है. गांव के 100 से अधिक महिला-पुरुष किसान लाह की खेती कर रहे हैं और नये किसान भी लगातार इससे जुड़ रहे हैं. किसानों ने बताया कि लाह की पैदावार के बाद उसे पुनः कुसुम के पेड़ में बांधा जाता है. पेड़ में बांधने के दौरान झड़ने वाले लाह को बीज के रूप में बेचा जाता है. किसान हर साल लाह बेचकर एक लाख रुपये से अधिक की आमदनी कर रहे हैं. गांव में की जा रही लाह की खेती का निरीक्षण बीते सप्ताह राष्ट्रीय टीमों द्वारा भी किया गया. किसानों ने बताया कि लाह की बिक्री सीधे व्यापारियों को की जाती है. वर्तमान में व्यापारियों द्वारा प्रति किलो 980 रुपये की दर से लाह की खरीद की जा रही है. लाह की खेती में मेहनत कम : महिला और पुरुष किसान लाह की खेती से प्रभावित होकर बड़े पैमाने पर इससे जुड़ रहे हैं. उनका मानना है कि यह खेती भविष्य में गांव से पलायन रोकने में भी सहायक सिद्ध होगी. लाह की खेती में मेहनत कम है और महिलाएं घर के कामकाज के साथ अतिरिक्त समय में इसे आसानी से कर रही हैं. आम के आम, गुठली के दाम : किसानों का कहना है कि यह खेती आम के आम, गुठली के दाम की तरह लाभदायक है. बीज के रूप में उपयोग किये गये लाह की भी बिक्री की जाती है, जिससे अतिरिक्त आमदनी होती है. कीड़ा लगने के बाद यही लाह तैयार होती है.

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