लोहरदगा़ जिले में लगातार हो रही अतिवृष्टि का असर अब खेतों में साफ दिखने लगा है. भारी बारिश के कारण खेतों में किसानों द्वारा डाला गया बिचड़ा जलजमाव की वजह से सड़ गया है. इससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि धान की रोपनी में भी बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है. किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने खेत के अनुसार बिचड़ा डाला था, लेकिन बिचड़ा सड़ने के कारण उसमें से आधे से भी कम अंकुरण हो सका है. इस कारण रोपनी के लिए भी पर्याप्त मात्रा में बिचड़ा उपलब्ध नहीं हो पायेगा. चंद्रकोपा निवासी किसान सुगन साहू ने बताया कि उन्होंने अपने खेत के लिए 20 किलो धान का बिचड़ा डाला था, लेकिन वह अंकुरित नहीं हुआ और पूरी तरह सड़ गया. किसानों का कहना है कि उन्होंने महंगे दाम पर खाद और बीज खरीदकर बिचड़ा तैयार किया था. अब बिचड़ा सड़ने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. साथ ही, धान की रोपनी भी अधर में लटक गयी है. अगर अब दोबारा बीज डाला गया तो बिचड़ा तैयार होने में कम से कम 25 दिन का समय लगेगा, जिससे रोपनी का समय निकल जायेगा. जिले के अधिकांश किसान वैज्ञानिक पद्धति से हाइब्रिड धान की खेती करते हैं. यदि समय पर रोपनी नहीं हो पायी तो पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा. किसानों ने बताया कि यदि देर से रोपनी होती है तो ठंड के समय बाली नहीं निकलती और फसल केवल पुआल बनकर रह जाती है. सब्जी की खेती में पहले ही नुकसान झेल चुके किसानों को अब धान की खेती में नुकसान का डर सता रहा है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक प्रभावित होने की आशंका है.
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