लोहरदगा : जिले में तपती गर्मी एवं पेयजल संकट से लोग जूझने को विवश है. उमस भरी गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. सुबह से ही गर्मी के कारण लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है जो देर शाम तक लोगों को परेशान करती है. शहरी क्षेत्र में तो स्थिति और भी […]
लोहरदगा : जिले में तपती गर्मी एवं पेयजल संकट से लोग जूझने को विवश है. उमस भरी गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. सुबह से ही गर्मी के कारण लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है जो देर शाम तक लोगों को परेशान करती है. शहरी क्षेत्र में तो स्थिति और भी बदतर है. सुबह से ही लोग पानी की तालाश में भटकते नजर आते हैं.
जलसंकट से निबटने का प्रयास नहीं होने के कारण समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है. इस समस्या के निदान को लेकर जनप्रतिनिधि सिर्फ बातें बना रहे हैं. अब जनता को भगवान का ही भरोसा है कि बारिश हो और पानी का जुगाड़ हो. नगर परिषद को जनहित के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं रह गया है.
यहां के अधिकारी बिल भाउचर में ही लगे रहते हैं. जन समस्याओ को देखने सुनने वाला कोई नही है. इसी तरह ग्रामीण इलाको में भी नदी, तालाब, कुआं सूख चुके हैं. इंसान के साथ साथ मवेशियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोयल एवं शंख नदी सूख चुकी है. जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. बालू के उठाव से स्थिति और भी खराब हो रही है. जल संरक्षण की योजनाएं धरातल पर नही उतर रही है. शहरी क्षेत्र में जो नये भवन भी बनाए जा रहे है उनमें वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नही है.
नगर परिषद का इस ओर ध्यान नही है. पुराने नाले को नगर पालिका द्वारा कचरा गिराकर भर दिया गया. नालों को बंद कर वहां अवैध तरीके से घर बना लिया जा रहा है. प्राकृतिक जल स्रोतो के बंद होने से स्थिति और भी भयावह होती जा रही है. वृक्ष तेजी से कट रहे हैं. लेकिन वृक्ष लगाने की गति बिलकुल धीमी है. लोहरदगा में अभी जो गर्मी पड़ रही है. वह शायद ही पहले कभी पड़ती थी. यहां के मौसम में हो रहे बदलाव से पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं.