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महिला समूह के हौसले से एमलिन की बदली जिंदगी
लोहरदगा जिला अंतर्गत कुड़ू प्रखंड के कुड़ू नवाटोली गांव की रहनेवाली हैं एमलिन कंडुलना. समूह से जुड़ कर महिलाओं के आगे बढ़ने की मिसाल हैं एमलिन. उन्होंने न सिर्फ विपरीत परिस्थितियों से खुद को बाहर निकाला, बल्कि स्वरोजगार करते हुए अपने परिवार का बखूबी भरण-पोषण भी करने लगीं. कभी 20 रुपये के लिए मोहताज एमलिन […]
लोहरदगा जिला अंतर्गत कुड़ू प्रखंड के कुड़ू नवाटोली गांव की रहनेवाली हैं एमलिन कंडुलना. समूह से जुड़ कर महिलाओं के आगे बढ़ने की मिसाल हैं एमलिन. उन्होंने न सिर्फ विपरीत परिस्थितियों से खुद को बाहर निकाला, बल्कि स्वरोजगार करते हुए अपने परिवार का बखूबी भरण-पोषण भी करने लगीं. कभी 20 रुपये के लिए मोहताज एमलिन आज आर्थिक रूप से सशक्त हैं. अपने बच्चे को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाती हैं. वहीं, अपनी बहन की बेटी को रांची में पढ़ा रही हैं.
काफी आगे बढ़ चुकीं हैं एमलिन
एमलिन साल 2004 में मुक्ति आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. समूह की गतिविधियों में सक्रिय रहने के कारण उन्हें बुक कीपिंग का काम मिला. इसी बीच साल 2013 में समूह से तीन हजार रुपये लोन लेकर एक दुकान खोली. कम पूंजी से दुकान की शुरुआत करने पर लोग मजाक भी उड़ाते थे, पर एमलिन ने कभी इसकी परवाह नहीं की. अपनी धुन की पक्की एमलिन आज काफी आगे बढ़ चुकी हैं. एक्सपोजर विजिट के लिए एमलिन हैदराबाद गयीं. यहां उन्होंने महिलाओं के जीवन में आ रहे बदलाव को करीब से देखा और काफी प्रभावित भी हुईं.
धीरे-धीरे जीवन में आया बदलाव
हैदराबाद से लौटने के बाद एमलिन ने समूह से 50 हजार रुपये का लोन लिया. इस राशि से दुकान को और बढ़ाया. बदलते समय के साथ दुकान चल निकला. आमदनी अच्छी होने से एमलिन ने एक पिको मशीन खरीदी. खेती-बारी में दिलचस्पी रखने के कारण जायका प्रोजेक्ट के तहत ड्रिप एरिगेशन की मशीन ली. इतना ही नहीं अपनी नर्सरी में खुद बिचड़े भी तैयार करने लगीं. और तो और एमलिन पावर टीलर खुद ही चलाती हैं. इस तरह एमलिन के जीवन में धीरे-धीरे बदलाव आना शुरू हो गया.
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