झुमरीतिलैया . शहर के विभिन्न स्थानों पर कई आकर्षक व भव्य पंडाल का निर्माण हो रहा है. मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लग गये हैं. अलग-अलग स्थानों पर आयोजित होनेवाले दुर्गा पूजा का अपना-अपना इतिहास है. कुछ इसी तरह की ऐतिहासिक पहचान अड्डी बांग्ला दुर्गा पूजा की है. शहर में अड्डी बांग्ला दुर्गा पूजा सबसे अलग और अद्भुत होता है. संध्या आरती की थाली उठते ही पूरा मंडप घंटे-घड़ियाल और ढाक से गूंज उठता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. यहां की आरती सबसे अधिक प्रख्यात है. समिति के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष पूजा पंडाल को असम के मंदिर का प्रारूप दिया जा रहा है. पंडाल निर्माण पर करीब छह लाख रुपये की लागत आयेगी. वहीं लाइटिंग और सजावट पर तीन लाख रुपये से अधिक खर्च होंगे. माता की प्रतिमा का निर्माण बंगाल से आये मूर्तिकार कर रहे हैं. पूजा संपन्न कराने पुजारियों और ढाकियों की विशेष टीम भी पहुंच चुकी है. समिति के सदस्यों ने बताया कि वर्ष 1924 में यहां पूजा की शुरुआत हुई थी. शुरुआती दिनों में खुले मैदान में मंडप बनाकर पूजा होती थी. धीरे-धीरे सहयोग और योगदान से आयोजन भव्य होता चला गया. आज भी यहां की आस्था और परंपरा जस की तस है. अड्डी बांग्ला में मैदान बड़ा है, इसलिए आरती के समय सैंकड़ों भक्तों की यहां उपस्थिति होती है. समिति सदस्यों के अनुसार हर वर्ष हजारों श्रद्धालु मां दुर्गा की आराधना करने आते हैं. भीड़ और उत्साह देखते ही बनता है.
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