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सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार है दशम फॉल

सूर्य मंदिर, प्राचीन कालीन महामयी व दिउड़ी मंदिर में भी जुटेंगे सैलानी राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा व देश के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचते हैं पर्यटक बुंडू :पांच परगना क्षेत्र का प्रकृति का रमणीय दशमफॉल, सूर्य मंदिर, प्राचीन कालीन महामयी व दिउड़ी मंदिर सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार है. बूढ़ाडीह […]

सूर्य मंदिर, प्राचीन कालीन महामयी व दिउड़ी मंदिर में भी जुटेंगे सैलानी
राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा व देश के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचते हैं पर्यटक
बुंडू :पांच परगना क्षेत्र का प्रकृति का रमणीय दशमफॉल, सूर्य मंदिर, प्राचीन कालीन महामयी व दिउड़ी मंदिर सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार है. बूढ़ाडीह हाराडीह स्थित प्राचीनकालीन महामयी मंदिर, दिउड़ी मंदिर में नववर्ष 2017 के लिए श्रद्धालुओं व सैलानियों की भीड़ शुरू हो गया है.
नये वर्ष के स्वागत के लिए मंदिर कमेटी ने भी पूजा करनेवाले लोगों की सेवा में स्वयंसेवक तैनात करने की योजना बनायी है. मंदिर को भी लाइट से सजाया जा रहा है. दशमफॉल अपनी खूबसुरती के लिए जाना जाता है. कांची नदी के 144 फीट की ऊंचाई से यहां जल गिरता है. रांची-टाटा मार्ग पर स्थित दशम फॉल राजधानी से 36 किलोमीटर दूरी पर है. रांची से तैमारा आने के पश्चात छह किलोमीटर पश्चिम की ओर जाना पड़ता है. दशम फॉल में यों तो सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन दिसंबर और जनवरी में यहां मेला-सा दृश्य होता है. राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा व देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
पिकनिक मनाने के बाद लौट जाते हैं. यहां ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है. पूर्व की तरह अब दशम फॉल खतरनाक नहीं रहा. दशम फॉल के डूब क्षेत्र को बालू, पत्थर और कंक्रीट से भर दिया गया है. इसके बावजूद पर्यटन विभाग झारखंड की ओर से स्वयंसेवक तैनात किये गये हैं. ये स्वयंसेवक पर्यटकों को खतरनाक जगहों पर जाने से रोकते हैं. साथ ही पर्यटकों द्वारा फैलाये गये कचरा को भी हटाते हैं. निचले स्थल पर होने के कारण मोबाइल की कनेक्टिविटी नहीं होती है. किसी प्रकार की घटना की सूचना तैमारा आकर दशम फॉल थाने को दी जा सकती है. घने जंगलों के बीच होने के कारण अंधेरा होने से पहले लौटना सुरक्षित होता है.

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