खूंटी : 19 जून 2018 को खूंटी के कोचांग में पांच महिलाओं के साथ हुए गैंग रेप के मामले में शुक्रवार को जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार की अदालत ने छह अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. कुल 225 पेज के फैसले में कोर्ट ने बिंदुवार सजा सुनायी.
11 माह में जिन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी, उनमें अयूब सांडी पूर्ति, जुनास मुंडा, बाजी समद उर्फ टकला, फादर अल्फोंस आइंद, जोन जोनास तिड़ू और बलराम समद शामिल हैं. एक अभियुक्त नाबालिग है, जिसके वाद को जुवेनाइल कोर्ट में रेफर कर दिया गया. जबकि एक अन्य अभियुक्त नोवेल शांति पूर्ति फरार है.
किसको किस गुनाह के लिए कितनी सजा दी गयी : कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त अयूब सांडी पूर्ति, जुनास मुंडा और बाजी समद उर्फ टकला को गैंगरेप के लिए भादवि की धारा 376डी के तहत आजीवन कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. वहीं महिला को नग्न करने और अपहरण करने के लिए धारा 354बी और 365 के तहत सात वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना व पुरुषों के साथ मारपीट करने, पेशाब पिलाने के लिए धारा 341 और 323 के तहत एक वर्ष की सजा सुनायी.
इसके अलावा कोर्ट ने फादर अल्फोंस आईंद को साजिशकर्ता के रूप में और पत्थलगड़ी समर्थक जोन जुनास तिड़ू और बलराम समद को उत्प्रेरक के रूप में दोषी पाया़ कोर्ट ने तीनों को मुख्य अभियुक्तों के साथ-साथ बराबर का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी.
फादर अल्फोंस आईंद को धारा 376डी, 120बी के तहत आजीवन कारावास की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना, धारा 354बी, 365, 120बी के तहत सात वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना व धारा 341, 323, 120बी के तहत एक वर्ष की सजा कोर्ट ने सुनायी. जोन जुनास तिड़ू और बलराम समद को धारा 376डी, 109, 111 के तहत आजीवन कारावास और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना, धारा 354बी, 365, 109, 111 के तहत सात वर्ष की सजा के साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना व धारा 341, 323, 109, 111 के तहत एक-एक वर्ष की सजा सुनायी.
पीड़िताओं को जुर्माने की राशि देने का आदेश : कोर्ट ने अभियुक्तों को आर्थिक दंड की सजा भी दी है. साथ ही यह आदेश भी दिया है कि जुर्माने की राशि पीड़ितों को दी जाये. सभी छह अभियुक्तों को अलग-अलग मामलाें में डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का आर्थिक दंड दिया गया है. यानी कुल नौ लाख रुपये का जुर्माना अभियुक्तों को देना होगा. नहीं देने पर अभियुक्तों की सजा अलग से बढ़ायी जायेगी़. पीड़ितों में पांच महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं. कोर्ट ने पीड़ितों के पुनर्वास और मुआवजे के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को जवाबदेही सौंपी है़ प्राधिकार द्वारा इसकी व्यवस्था की जायेगी.
अभियुक्तों ने रूल ऑफ लॉ को चैलेंज किया है़, जो क्षमा योग्य नहीं है : न्यायाधीश ने मामले में टिप्पणी की कि अभियुक्तों ने रूल ऑफ लॉ को चैलेंज किया है़, जो क्षमा योग्य नहीं है़. कहा कि घटना में सबकी सहभागिता है और दोष पाया गया है. जिस तरह से अपराध किया गया, गैंगरेप किया, निजी अंगों में डंडा डाला गया़ यह मर्माहत करने वाली घटना है़ उन्होंने कहा कि सभी घटना प्री प्लान थी. घटना को छिपाने का भी प्रयास किया गया़ उन्होंने अभियुक्तों को कहा कि वे सजा के खिलाफ आगे की कोर्ट में जा सकते हैं. कानून में उन्हें यह अधिकार प्राप्त है़.
कहीं का भी अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा : न्यायाधीश ने सजा सुनाने के दौरान मार्टिन लूथर किंग जूनियर के एक वाक्य को अंग्रेजी में ही दोहराया़ जिसमें कहा कि कहीं का भी अन्याय, हर जगह के न्याय के लिए खतरा है़
कोर्ट परिसर में थी भारी सुरक्षा-व्यवस्था : कोचांग गैंगरेप घटना में सजा की सुनवायी को लेकर शुक्रवार को कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा-व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे. कोर्ट के अंदर और बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. एसडीपीओ आशीष कुमार महली और थाना प्रभारी जयदीप टोप्पो पूरे कोर्ट परिसर का गश्त लगा रहे थे. वहीं अभियुक्तों को भी भारी सुरक्षा घेरे में कोर्ट लाया गया़ था वापसी के क्रम में भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी़ कोर्ट खचाखच भरा हुआ था.
पत्थलगड़ी के खिलाफ नुक्कड़ नाटक करने के कारण हुआ गैंगरेप : नुक्कड़ नाटक दल में शामिल महिलाएं विवादित पत्थलगड़ी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक करती थीं. इसी कारण पत्थलगड़ी नेता जोन जुनास तिड़ू और बलराम समद ने उन्हें सबक सिखाने की नियत से अभियुक्तों को उकसाया था. इसके बाद षडयंत्र कर महिलाओं को कोचांग लाया गया और घटना को अंजाम दिया गया़
पीड़ितों को मिला न्याय: लक्ष्मी बाखला : कोचांग में गैंगरेप की घटना का खुलासा करने में समाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी बाखला की अहम भूमिका रही. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने आज पीड़िताओं के हक में फैसला देकर न्याय किया है़. पीड़िताओं को पूर्व में लगा था कि कुछ फायदा नहीं होगा. वे मामला दर्ज कराने से भी हिचक रही थी़. न्यायालय से अभियुक्तों को सजा मिलने से उनका कानून और पुलिस पर भरोसा बढ़ा है
समाज के कुकर्मी सोचने को मजबूर होंगे : लोक अभियोजक सुशील कुमार जायसवाल ने पीड़ितों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका अदा की़. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पूरी संवेदनशीलता के साथ सुनवाई पूरी की़. कोर्ट के फैसले के बाद अब समाज के कुकर्मी एक बार सोचने के लिए मजबूर होंगे और अपराधी ऐसा घृणित काम करने से तौबा करेंगे.