खलारी : केडी चदरा धौड़ा में पानी की किल्लत है. महिलाओं को दूरदराज से पानी लाना पड़ रहा है. सीसीएल के एनके एरिया की सबसे पुरानी कॉलोनी पहले एक कुएं पर आश्रित थी, परंतु अब वह सूख चुका है. कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण से पहले उसके मालिक निजी कंपनियों ने वैगन लोडरों के रहने के लिए इस कॉलोनी को बनाया था.
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चदरा धौड़ा में पेयजल की किल्लत
खलारी : केडी चदरा धौड़ा में पानी की किल्लत है. महिलाओं को दूरदराज से पानी लाना पड़ रहा है. सीसीएल के एनके एरिया की सबसे पुरानी कॉलोनी पहले एक कुएं पर आश्रित थी, परंतु अब वह सूख चुका है. कोयला खानों के राष्ट्रीयकरण से पहले उसके मालिक निजी कंपनियों ने वैगन लोडरों के रहने के […]
लेकिन सीसीएल की उपेक्षा के कारण यहां के सीसीएलकर्मी व अन्य दूसरे लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं. पूरे कॉलोनी के लोग एक कुएं पर आश्रित थे, लेकिन वह भी सूख चुका है. पानी की समस्या का स्थाई हल करते हुए प्रबंधन ने बगल में ही एक डीप बोर करा दिया.
लेकिन उसमें से लोगों को सीधे पानी मुहैया कराने की योजना नहीं बनी. डीप बोर से सबमर्सिबल पंप के द्वारा पहले कुएं में पानी डाला जाता था, बाद में लोग कुएं से पानी निकालते थे. अब सबमर्सिबल पंप से भी पानी मिलना बंद हो गया है. डकरा खदान के विस्तारीकरण का प्रभाव इस डीप बोर के जलस्तर पर भी पड़ा है.
इधर बुकबुका के महावीरनगर में स्थापित पेयजल स्वच्छता विभाग के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सह जलमीनार से पानी सप्लाई के लिए चदरा धौड़ा तक पाइप बिछायी गयी थी. लेकिन इसमें भी ग्रहण लग गया. कॉलोनी में रहनेवाले श्रमिक नेता विजय खटाई कहते हैं कि प्रबंधन को इस बाबत सूचना दी गयी है, लेकिन पानी की समस्या का स्थाई हल नहीं निकाला जा रहा है. सरकार और सीसीएल प्रबंधन की उपेक्षा से चदराधौड़ा के लोगों में रोष है.
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