World Tribal Day 2025| बिधान साधु़, बिंदापाथर (जामताड़ा) : जामताड़ा जिले के बिंदापाथर थाना क्षेत्र के हिदलजोड़ी गांव निवासी धर्मेजय हेंब्रम आज संथाली साहित्य के उभरते हुए साहित्यकार हैं. इस युवा साहित्यकार ने अपने लेखन, गायन और भाषायी योगदान से न सिर्फ स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनायी है. इनके द्वारा रचित व गाये गीत ”जांगा रे पायगान” की चर्चा ”मन की बात” में प्रधानमंत्री कर चुके हैं. यह गीत संताल हूल पर आधारित है.
- कविता संग्रह दुला़ड़ रेयाक् मेत् दाक्… से मिली पहचान
- इस संग्रह में संथाली समाज की पीड़ा, प्रेम, प्रकृति और पहचान के स्वर गूंजते हैं
- धर्मेंजय ने कई हिंदी पुस्तकों का संथाली भाषा में अनुवाद किया है
धर्मेजय की रचना में गूंजती है पीड़ा, प्रेम, प्रकृति और पहचान के स्वर
धर्मेजय हेंब्रम के रचनात्मक लेखन का महत्वपूर्ण पड़ाव है उनका संथाली कविता संग्रह “दुला़ड़ रेयाक् मेत् दाक्…”. इस संग्रह में संथाली समाज की पीड़ा, प्रेम, प्रकृति और पहचान के स्वर गूंजते हैं. शीर्षक का अर्थ है – “ओ प्रेम! तू जो पीछे छूट गया”, जो बीते हुए समय और जड़ों से जुड़े रहने की गूढ़ भावना को प्रकट करता है. ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े धर्मेंजय को बचपन से ही साहित्य और भाषा के प्रति रुझान थी.
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कई हिंदी पुस्तकों का संथाली भाषा में किया अनुवाद
वे संथाली के वरिष्ठ साहित्यकारों और हिंदी साहित्य के दिग्गजों के संपर्क में रहे, जिससे उनकी दृष्टि व्यापक होती गयी. धर्मेजय ने कई हिंदी पुस्तकों का संथाली भाषा में अनुवाद किया है. इनमें प्रमुख हैं: ला़ड़हा़ई आर सांघार व संताली रेन नामडाक सांवहेंदिया़ बाबूलाल मुर्मू ‘आदिवासी’. ये अनुवाद कार्य उनकी द्विभाषी दक्षता और साहित्य के प्रति समर्पण का परिचायक है. धर्मेजय ने बताया कि अपनी भाषा के साथ आगे बढ़ते गये और इसी दौरान कई हिंदी साहित्य काे संथाली भाषा में अनुवाद भी किया.
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कविता, गीत और गायन : तीनों विधाओं में दक्षता
धर्मेजय केवल एक कवि नहीं, एक उत्कृष्ट गीतकार और गायक भी हैं. उनके द्वारा लिखा गया और स्वयं गाया गया एक गीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रसारित हो चुका है, जो उनकी सृजनात्मक पहचान का प्रमाण है. उनके गीतों में लोकधुनों की मिठास और जनभावनाओं की गूंज सुनाई देती है. उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को कई मंचों से सम्मान मिला है. हिजला मेला कवि सम्मेलन 2024 में कविता पाठ के लिए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, दुमका द्वारा सम्मानित किया गया था. वहीं जामताड़ा में आयाेजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह (9 अगस्त 2024) में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो ने उन्हें सम्मानित किया था.
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