बिंदापाथर. बिंदापाथर व सालकुंडा गांव स्थित जैन मंदिर में रविवार को पर्यूषण महापर्व विशेष रूप से मनाया गया. महापर्व पर्यूषण का पांचवां दिन है. महापर्व पर्यूषण 20 अगस्त को शुरू हुआ है. सालकुंडा गांव में महावीर भगवान, जो कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है, उनका आज जन्म वाचन के अवसर पर धार्मिक और सामाजिक उत्सव का आयोजन किया गया. मालूम हो कि भगवान महावीर का जन्म बिहार के कुंडलग्राम में हुआ था. इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया. सालकुंडा जैन मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है. लेकिन सरकार की ओर से कोई भी सहायता नहीं मिल पा रही है. यहां आने के लिए मुख्य सड़क नहीं बनी है. यहां का पुलिया भी टूटा है. गांव के लोगों ने महावीर जन्मवाचन के अवसर पर महिला और बच्चों के साथ मिलकर पूजा-अर्चना की और धार्मिक गाने गाए. साथ ही गांव के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया और भजन संध्या का आयोजन किया. इस अवसर पर गांव के राजेंद्र सराक ने बताया कि महावीर की एक ही वाणी थी – जियो और जीने दो. इसलिए खुद भी अहिंसा से जियो और दूसरों को भी शांतिपूर्वक जीने दो. इससे राज्य में शांति बनी रहेगी. महावीर वाचन के बारे में बताया कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी के दिन मध्यरात्रि के समय में श्रीक्षत्रियकुंड नगर के मौसम में कभी भी नहीं हुआ हो, वैसा कुदरती वातावरण का सर्जन हो रहा था. दसों दिशाएं चारों ओर से धूल के रजकणों से शांत हो जाने से बहुत ज्यादा मनोभावन लग रही थी. शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के आसपास का दिन होने से चांदनी की रोशनी फैल जाने से आह्लादक प्रकाश देदीप्यमान लग रहा था. वायु पुष्पों आदि से सुगंधित एवं शीतल होने सभी को सुख दे रही थी. नगर जन अपने-अपने परिवार-जनों के साथ वसंतोत्सव आदि क्रीड़ा कर रहे थे. इस तरह के प्रसन्न एवं आनंदमय वातावरण में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के शुभ दिन पर मध्यरात्रि के समय में उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र के साथ चंद्र ग्रह का योग हो रहा था. इस उत्सव में गांव के सभी वर्गों के लोगों ने उत्साह से भाग लिया और महावीर जन्म वाचन को धूमधाम से मनाया. उत्सव में गांव की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने का संकल्प भी लिया गया. विशेष पूजा में बालिका मंडल और वरुण माजी, तपन माजी, नंदलाल आदि शामिल हुए.
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