जामताड़ा. प्रखंड के बड़जोड़ा स्थित बिनोद बिहारी महतो चौक में बिरसा-बिनोद करम आखड़ा की ओर से करम महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया. प्रकृति संरक्षण और भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक यह पर्व हजारों ग्रामीणों की सहभागिता के साथ उल्लास के साथ मनाया गया. करम आखड़ा में सभी ने मिलकर मांदर-नगाड़े की थाप पर करम गीत गाए और झूमर नृत्य प्रस्तुत कर सांस्कृतिक परंपरा को जीवंत किया. पूरा माहौल आदिवासी-स्थानीय संस्कृति के रंग में रंगा रहा. बतौर मुख्य अतिथि आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय प्रधान प्रवक्ता सह संथाल परगना प्रभारी दीपक महतो केशरियार शामिल हुए. विशिष्ट अतिथि के रूप में जामताड़ा सीओ अबिश्वर मुर्मू, वरिष्ठ समाजसेवी आरती महतो, आदर्श ग्राम पंचायत बड़जोड़ा की मुखिया खुशबू टुडू, पंचायत समिति सदस्य स्वर्णलता टुडु, शिक्षक अशोक केटियार, समाजसेवी रोशना महतो धनबाद, लखी केटियार बोकारो, श्रीपुर पंचायत समिति सदस्य बिजली देवी, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बड़जोड़ा की प्रधानाध्यापिका मालती लता यादव, सहायक शिक्षक शंभुनाथ महतो, झूमर संस्कृति के जनक कहे जाने वाले शशिभूषण महतो, एएनएम असरिता एस, सीएचओ समिता केरकेट्टा, शिक्षक मिहिर मंडल, वरिष्ठ समाजसेवी सुरेश महतो, मनोज महतो, मुखिया प्रतिनिधि देवनाथ मुर्मू, समिति प्रतिनिधि श्रीवंत मुर्मू, पूर्व पंचायत समिति सदस्य दुर्गा मुर्मू सहित अन्य शामिल हुए. सभी अतिथियों ने करमा पर्व के अवसर पर भाई-बहनों ने सामूहिक रूप से मांदर-नगाड़ों की गूंज के साथ करम गीत गाए. पारंपरिक वेशभूषा में सजे युवा-युवतियों ने सामूहिक झूमर नृत्य कर वातावरण को भक्तिमय और सांस्कृतिक ऊर्जा से भर दिया. कार्यक्रम में शामिल लोगों ने करम पूजा कर प्रकृति संरक्षण और भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने का संदेश दिया. महोत्सव में वक्ताओं ने करम पर्व को झारखंड की अस्मिता और आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान बताया. कहा कि ऐसे आयोजन से आने वाली पीढ़ी अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ी रहती है.
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