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जेएसएलपीएस के साथ जुड़कर महिला बनी आत्मनिर्भर

ऋण लेकर अपने 30 डिसमिल खेत में टमाटर, बैंगन और मिर्च लगायी. इसी बीच जिला प्रशासन और जेएसएलपीएस के सहयोग से चल रही चास हाट योजना से वह जुड़ गयी.

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पाकुड़िया. कड़ी मेहनत और साहस इंसान के लिए कैसे उन्नति के नित नए मार्ग प्रशस्त करता है, इसका ज्वलंत उदाहरण प्रखंड के सुदूर गणपुरा संकुल की दीदी सिवांती हेंब्रम हैं. प्रखंड अंतर्गत गनपुरा पंचायत के सपादाहा गांव की सिवांती हेंब्रम एक गरीब परिवार से ताल्लुक़ रखती हैं. इनका पूरा परिवार खेतीबाड़ी एवं पशुपालन पर निर्भर है. पहले यह दीदी पैसे की कमी के कारण 5 से 6 कट्ठा में सब्जी लगाती थी और इस वजह से सही आमदनी नहीं हो पाती थी. इस वजह से दीदी पूंजी के अभाव से ग्रस्त रहती थी और किसी तरह अपना परिवार चलाती थी. फिर सिवांती हेंब्रम ने अपना कदम झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर बढ़ाया और उन्होंने 10 अप्रैल 2014 को आजीविका सखी मंडल से जुड़ कर साप्ताहिक 10 रुपये करके बचत करने लगी और कुछ दिनों बाद उन्होंने कदम बाहा आजीविका सखी मंडल से 15000 हजार रुपये ऋण लिया. उन्होंने ऋण लेकर अपने 30 डिसमिल खेत में टमाटर, बैंगन और मिर्च लगायी. इसी बीच जिला प्रशासन और जेएसएलपीएस के सहयोग से चल रही चास हाट योजना से वह जुड़ गयी. इस वजह से सरकार द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम से सिवांती हेंब्रम को चास हाट से कार्ड मिला जिससे दीदी खुश होकर खेती को विस्तार करते हुए अब पूरे वर्ष में कई प्रकार की सब्जी फसल उगाती है. सिवांती दीदी अब सप्ताह में तीन दिन गांव में घूम कर सब्जी बेचती है. इससे वह अभी दिन का 500 से 600 रुपये की आमदनी कर रही है और इसी प्रकार से एक वर्ष में 50 से 60 हजार रुपये के बीच कमाई हो जाती है. इस योजना से जुड़कर सिवांती हेंब्रम का आत्मविश्वास काफी बढ़ा है और वह काफी खुश है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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