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महारास सुन भक्ति सागर में डुबकी लगाते रहे श्रद्धालु

महारास सुन भक्ति सागर में डुबकी लगाते रहे श्रद्धालु

प्रतिनिधि, कुंडहित प्रखंड के बाबूपुर पंचायत अंतर्गत पाथरचुड़ गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन हो रहा है. इस धार्मिक अनुष्ठान से क्षेत्र में भक्ति का माहौल बना हुआ है. रविवार को छठे दिन वृंदावन धाम से आए कथावाचक सुबल कृष्णा ब्रह्मचारी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत महारास लीला का मधुर वर्णन किया. महाराज ने कहा कि संसार में 12 प्रकार के रस होते हैं, जिनमें व्यवहारिक जीवन में सात गोण रस और भगवान की भक्ति के लिए पांच मुख्य रस होते हैं. इनमें संत रस, दास रस, सखा रस, वात्सल्य रस और माधुर्य रस शामिल हैं. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को वैद में “रसो वै सः ” कहा गया है, क्योंकि वे सभी रसों के स्रोत हैं. राम अवतार से जुड़ी एक कथा का उल्लेख करते हुए महाराज ने कहा कि एक ऋषि राम से आलिंगन की इच्छा जताते हैं, लेकिन राम उन्हें वचन देते हैं कि द्वापर युग में कृष्ण रूप में उनकी इच्छा पूरी करेंगे. इसी कारण वे ऋषिगण गोपियों के रूप में जन्म लेकर रासलीला में शामिल हुए.महारास लीला की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की इच्छा जताई थी, जिसे पूरा करने के लिए भगवान ने शरद पूर्णिमा की रात यमुना तट पर उन्हें आमंत्रित किया. गोपियां बांसुरी की धुन सुनकर वहां पहुंचीं और भगवान ने प्रत्येक गोपी के साथ अलग-अलग रूप में रास रचाया. यह प्रेम पूरी तरह निश्छल और वासना रहित था. कार्यक्रम में सुमधुर भजन, संगीत और आकर्षक झांकियों ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया. श्रोता-भक्त कथा में डूबकर भावविभोर हो गए और भक्ति में झूमते रहे. महाराज ने अंत में कहा कि भगवान हर भक्त की भावना और भक्ति के अनुसार उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

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