जमशेदपुर-भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) झारखंड काउंसिल के नए चेयरमैन टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट के हेड सुनील कुमार तिवारी और वाइस चेयरमैन ऑटोमोबाइल के कारोबारी दिलू पारीख होंगे. सोमवार को बिष्टुपुर स्थित एक होटल में आयोजित सीआइआइ (भारतीय उद्योग परिसंघ) की झारखंड काउंसिल की वार्षिक बैठक में इसकी घोषणा की गयी. नयी कमेटी तत्काल प्रभाव से प्रभार संभाल लेंगी. सुनील कुमार तिवारी टाटा मोटर्स से करीब 28 वर्षों से जुड़े हैं. उससे पहले वे अल्ट्राटेक सीमेंट, अशोक लीलैंड, टाटा कमिंस समेत कई कंपनियों में विभिन्न पदों पर काम कर चुके है. वे पटना एनआइटी के स्टूडेंट रहे हैं. वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट के पहले वे पुणे प्लांट के हेड के तौर पर काम कर चुके हैं.
जमशेदपुर के रहनेवाले हैं दिलू पारीख
दिलू पारीख जमशेदपुर के ही रहने वाले हैं. ऑटोमोबाइल के कारोबार से जुड़े हुए हैं . वे मर्सीडीज बेंच कार का कारोबार करते हैं जबकि टाटा मोटर्स के कॉमर्शियल गाड़ियों की बिक्री भी करते हैं. उनका अपना डीलरशिप है. सीआइआइ के अलावा फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के वे चेयरपर्सन रह चुके हैं. वे एयर पैसेंजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक्सकॉम मेंबर भी रह चुके हैं.
भारतीय उद्योग परिसंघ की ओर से परिचर्चा का आयोजन
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) की ओर से झारखंड के समेकित विकास और सस्टेनेबिलिटी पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. सीआइआइ झारखंड काउंसिल की वार्षिक बैठक के बाद इसका आयोजन हुआ. इसमें राज्य के श्रम सचिव जीतेंद्र कुमार सिंह, पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल, आरएसबी समूह के वाइस चेयरमैन और एमडी एसके बेहरा, टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी, टाटा स्टील यूआइएसएल के एमडी रितुराज सिन्हा, सीआइआइ झारखंड के वर्तमान अध्यक्ष और एमडेट जमशेदपुर के एमडी रंजोत सिंह सहित अन्य प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में प्रमुख उद्योग नेताओं, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया गया. इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि कैसे रणनीतिक सहयोग राज्य की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा सकते हैं. सतत विकास, समावेशी विकास और नीति-संचालित बुनियादी ढांचे की उन्नति पर जोर दिया गया.
क्या बोले श्रम सचिव जीतेंद्र कुमार सिंह?
श्रम सचिव जीतेंद्र कुमार सिंह ने झारखंड सरकार की एमएसएमई के लिए उपयोगकर्ता-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. बताया कि उद्योग कार्निवल का मुख्य फोकस बाजार तक पहुंच पर है, जो एमएसएमई के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. उन्होंने 2015 से अनिवार्य सार्वजनिक खरीद नीति के बारे में विस्तार से बताया और यह भी बताया कि उद्योग कार्निवल कैसे खरीद के अवसरों का पता लगाने और एमएसएमई को आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत करने का महत्वपूर्ण मंच है. उन्होंने रक्षा और रेलवे जैसे क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित किया और गुणवत्ता और आपूर्ति सीमा पर विचार-विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने ऊर्जा-कुशल और उन्नत तकनीकों को अपनाने में उद्योगों का समर्थन करने वाले सरकारी प्रावधानों और सब्सिडी को भी रेखांकित किया.
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