Supreme Court: जमशेदपुर-सारंडा के संरक्षित क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी और रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने से जुड़ी याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गयी. मामला सीरियल नंबर 24 पर सूचीबद्ध था, लेकिन पहले के मामलों में लंबी बहस के कारण सुनवाई नहीं हो पायी. अगली तारीख तय नहीं की गयी है. 22 जुलाई को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि सैंक्चुअरी और रिजर्व फॉरेस्ट की सीमा निर्धारण की पुनर्समीक्षा चल रही है. इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी है, जिसमें सीसीएफ वाइल्ड लाइफ, डीएफओ एलीफेंट प्रोजेक्ट, आरसीसीएफ कोल्हान, डीएफओ सारंडा, डायरेक्टर माइंस और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के प्रभारी को शामिल किया गया है. यह समिति नये सिरे से तय करेगी कि कितने क्षेत्र को सैंक्चुअरी और रिजर्व फॉरेस्ट घोषित किया जाए.
सारंडा एशिया का सबसे बड़ा साल वृक्षों का है वन
हलफनामे के अनुसार लगभग 128 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को छोड़कर बाकी हिस्से की सीमा तय की जाएगी. माइनिंग विभाग ने आपत्ति जतायी है कि पूरे क्षेत्र को सैंक्चुअरी बनाने से आर्थिक गतिविधियां और खनन कार्य प्रभावित होंगे. पहले राज्य सरकार ने निर्णय लिया था कि सारंडा का सैंक्चुअरी एरिया 575 वर्ग किलोमीटर और रिजर्व फॉरेस्ट 136 वर्ग किलोमीटर होगा. एक पूर्व शपथ पत्र में 575 वर्ग किलोमीटर को वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी और 13.06 वर्ग किलोमीटर को ससांगदाबुरु संरक्षण रिजर्व घोषित करने की योजना थी, लेकिन खनन से संबंधित आपत्तियों के बाद पुनर्विचार शुरू किया गया. सारंडा एशिया का सबसे बड़ा साल वृक्षों का वन है, जहां हाथियों सहित कई दुर्लभ वन्य प्रजातियां पायी जाती हैं. यहां खनन और औद्योगिक गतिविधियों को लेकर लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच टकराव जारी है.
क्या कहते हैं याचिकाकर्ता?
पर्यावरणविद आरके सिंह ने कहा कि सारंडा क्षेत्र में माइनिंग के लिए सैंक्चुअरी और रिजर्व फॉरेस्ट एरिया घटाना गलत है. यह जंगल और वन्य जीवों के लिए गंभीर खतरा है. हम इस मुद्दे पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे और जंगल बचाने की कानूनी लड़ाई हर स्तर पर लड़ेंगे.

