Jamshedpur news.
झारखंड आंदोलनकारी सह पूर्व सांसद ने ‘सृष्टि और धर्म’ नामक पुस्तक लिखी है. यह उनकी लिखी पांचवीं पुस्तक है. उन्होंने ‘झारखंड राज्य और उपेक्षितवर्ग’ नामक पहली किताब लिखी थी. राज्य बनने के बाद उनकी प्रकाशित पुस्तक ‘झारखंड की समरगाथा’ काफी लोकप्रिय हुई. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘जर्नी ऑफ झारखंड मूवमेंट’ भी प्रकाशित हुआ. उसके बाद उन्होंने ‘झारखंड में विवादों का इतिहास’ नामक पुस्तक लिखी. झारखंड पर प्रमाणिक पुस्तकें लिखने के बाद इनका झुकाव अध्यात्म लेखन की ओर हुआ. इसी क्रम में उन्होंने ‘सृष्टि और धर्म’ लिखी है. पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो की पहचान झारखंड आंदोलनकारी, लेखक, पत्रकार, और राजनेता की है. उनका जन्म 11 अक्तूबर 1953 को तत्कालीन अविभाजित सिंहभूम जिला के चक्रधरपुर थाना अंतर्गत सेताहाका गांव में हुआ था. श्री महतो का बचपन से ही झुकाव अध्यात्म की ओर था और वह साधु-संत बनना चाहते थे. इसके लिए वह कई धार्मिक स्थलों पर गये और सन्यासियों से संपर्क किया, लेकिन वे साधु नहीं बन सके. नियति को शायद कुछ दूसरा ही मंजूर था, वे 20 वर्ष की उम्र में झारखंड आंदोलन का हिस्सा बने. शैलेंद्र महतो ने महसूस किया कि अगर झारखंड अलग राज्य बन जाता है, तो पूरे इलाके का कायाकल्प हो सकता है. श्री महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गये. इसी दौरान 25 नवम्बर 1978 में सेरेंगदा में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. आंदोलन की खबर गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए ‘सिंहभूम एकता’ नामक साप्ताहिक पत्रिका के माध्यम से पत्रकारिता भी की. झारखंड के अध्यक्ष निर्मल महतो की हत्या के बाद शैलेंद्र महतो को झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव बनाये गये. 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने रांची आकर एक बड़ी जनसभा में भाजपा की सदस्यता दिलायी. शैलेंद्र महतो झारखंड आंदोलन के दौरान राजीव गांधी सरकार के साथ हुई सरकारी वार्ता में भी शामिल रहे. वे झारखंड विषयक समिति के सदस्य थे.ये 1989-1991 में जमशेदपुर से झामुमो पार्टी से सांसद रहे. उनकी पत्नी आभा महतो 1998 और 1999 में लगातार दो बार भाजपा की सांसद रहीं. शैलेंद्र महतो महतो धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से दूर होते गये और लेखन की ओर ध्यान दिया.
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