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पूर्व सिविल सर्जन डॉ महेश्वर पर लगे आरोप पर जांच का आदेश, 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने काे कहा

पूर्वी सिंहभूम के पूर्व सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद के खिलाफ लगे आरोप की विभागीय जांच का स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने दिया है. पूरे मामले की जांच के लिए उन्होंने सेवानिवृत्त भाप्रसे के कमल जॉन लकड़ा को संचालन पदाधिकारी और सिविल सर्जन डॉ जुझारू मांझी को उपस्थापन पदाधिकारी के रूम में नामित किया है.

सिविल सर्जन पर यदि आरोप सिद्ध, तो सरकार दे सकती है यथोचित दंड

वरीय संवाददाता, जमशेदपुर

स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने पूर्वी सिंहभूम के पूर्व सिविल सर्जन डॉ महेश्वर प्रसाद के खिलाफ लगे आरोप की विभागीय जांच का आदेश दिया है. पूरे मामले की जांच के लिए उन्होंने सेवानिवृत्त भाप्रसे के कमल जॉन लकड़ा को संचालन पदाधिकारी और सिविल सर्जन डॉ जुझारू मांझी को उपस्थापन पदाधिकारी के रूम में नामित किया है. यह आदेश 30 अप्रैल को जारी किया गया है.

जारी आदेश के अनुसार तत्कालीन सिविल सर्जन पर यदि आरोप सिद्ध हुआ, तो सरकार उन्हें यथोचित दंड देने पर विचार कर सकती है. इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि झारखंड पेंशन नियमावली के नियम-43 (बी) डॉ महेश्वर प्रसाद के विरुद्ध गठित प्रपत्र ‘क’ (संलग्न) में दिये गये अभियोग के लिए विभागीय कार्यवाही प्रारंभ किया जाये. इधर डॉ महेश्वर प्रसाद को आदेश की प्राप्ति की तिथि से 15 दिनों के अंदर अपने बचाव के लिए अपना स्पष्टीकरण संचालन पदाधिकारी को समर्पित करने को कहा गया है. यदि वे अपने बचाव के लिए स्वयं कुछ कहना चाहते या गवाह प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो उस बात का उल्लेख भी अपने स्पष्टीकरण में करने को कहा है. पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर महेश्वर प्रसाद के खिलाफ उपरोक्त मामले में पूर्व में ही ‘प्रपत्र क’ गठित कर आगे की कार्रवाई प्रारंभ कर दी गयी है.

क्या है पूरा मामला

जिले के पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर महेश्वर प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए झारखंड हाई कोर्ट में बागबेड़ा निवासी कुमार मनीष ने 2021 में पीआइएल दाखिल किया था. इस पर बीते दिनों हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय व न्यायाधीश दीपक रोशन ने सेवानिवृत्त सिविल सर्जन डॉक्टर महेश्वर प्रसाद पर एफआइआर दर्ज करने एवं विभागीय कार्रवाई करने को आदेश दिया था.

क्या है आरोप

1. रिटायरमेंट तिथि 30 जून 2020 से तीन दिन पूर्व 27 अल्ट्रासाउंड सेंटर का रिनुअल करना

2. आयुष्मान भारत के अंतर्गत 27 निजी अस्पतालों को पैनल में लेने से पहले पूर्ण रूप से फॉर्म तक नहीं भरा गया व बिना वेरिफिकेशन के ही पैनल में शामिल कर लिया गया

3. कोल्ड चैन हैंडलर में बहाली नियमों को तोड़कर किया गया. इंटर विज्ञान के प्रतिभागी का चयन किया जाना था, इंटर आर्ट्स प्रतिभागी को नियुक्त किया गया

4. टीवी अस्पताल में आरएनटीसीपी की बहाली में अनियमितता बरती गयी. एक ही प्रमाण पत्र पर दो लोगों की नियुक्ति की गयी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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