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अटल बिहारी वाजपेयी कुशल नेतृत्व, आदर्श नीति और सुशासन के प्रतीक : डॉ. यदुनाथ पांडेय

जमशेदपुर. भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के अवसर पर सोमवार को भाजपा जमशेदपुर महानगर द्वारा अटल विरासत सम्मेलन का आयोजन किया गया.

भाजपा जमशेदपुर महानगर ने अटल विरासत सम्मेलन का किया आयोजन, झारखंड आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर हुई चर्चा

जमशेदपुर.

भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के अवसर पर सोमवार को भाजपा जमशेदपुर महानगर द्वारा अटल विरासत सम्मेलन का आयोजन किया गया. बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में हजारीबाग के पूर्व सांसद एवं झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. यदुनाथ पांडेय मौजूद रहे.सम्मेलन में प्रदेश मंत्री नंदजी प्रसाद, प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा, जिला महामंत्री अनिल मोदी और संजीव सिंह, कार्यक्रम के सह संयोजक संजीव सिन्हा समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम का शुभारंभ अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. इस अवसर पर स्वागत भाषण जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा ने दिया.

झारखंड निर्माण में अटल जी की अहम भूमिका

मुख्य वक्ता डॉ. यदुनाथ पांडेय ने अटल जी के राजनीतिक जीवन, नेतृत्व क्षमता और विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य निर्माण का श्रेय अटल जी को जाता है. उन्होंने कहा कि 1914 से झारखंड को अलग राज्य बनाने की मांग उठ रही थी, लेकिन जब भी यह आंदोलन चरम पर पहुंचता, कुछ नेताओं द्वारा इसे सौदेबाजी का जरिया बना लिया जाता था.

उन्होंने कहा कि अटल जी ने न केवल इस आंदोलन की पवित्रता को बनाये रखा, बल्कि वर्ष 2000 में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा भी दिया. उन्होंने बताया कि अटल जी का मानना था कि बिका हुआ नेता कभी आंदोलन को सफल नहीं कर सकता और उकसाया हुआ जानवर कभी शिकार नहीं कर सकता.

अटल जी के विचार आज भी प्रासंगिक

डॉ. पांडेय ने 1990 की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक कार्यशाला में अटल जी ने कहा था कि जो लोग आज गैस सिलेंडर और टेलीफोन बेच रहे हैं, कल उनकी भी बोली लगेगी. उन्होंने कहा कि अटल जी के ये शब्द आज भी प्रासंगिक हैं.

उन्होंने 1992 के ऐतिहासिक लाल चौक तिरंगा फहराने के संकल्प की भी याद दिलायी, जब आतंकवादियों ने धमकी दी थी कि वहां तिरंगा नहीं फहराने देंगे. लेकिन अटल जी के संकल्प और नेतृत्व के कारण तिरंगा शान से फहराया गया.

पोखरण परीक्षण और जनजातीय मंत्रालय का गठन

डॉ. पांडेय ने 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण का विशेष रूप से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि जब भारत अंतरराष्ट्रीय दबावों से जूझ रहा था, तब अटल जी ने अपने दृढ़ संकल्प और रणनीतिक कौशल से भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया.

सम्मेलन में शामिल हुए गणमान्य लोग

सम्मेलन में पूर्व जिलाध्यक्ष ब्रह्मदेव नारायण शर्मा, चंद्रशेखर मिश्रा, गुंजन यादव, जटाशंकर पांडेय, कल्याणी शरण, प्रदीप महतो, बबुआ सिंह, प्रदीप बेसरा, राजीव सिंह, रेणु शर्मा, विजय तिवारी, शांति देवी, मिली दास, कृष्णा शर्मा, उज्ज्वल सिंह, सागर राय, नीलू मछुआ, पोरेश मुखी, रमेश बास्के, अमित सिंह, प्रशांत पोद्दार, बजरंगी पांडेय, अजीत कुमार सिंह, पवन सिंह, आनंद शर्मा, सोनू ठाकुर, सुमित शर्मा, श्वेता कुमारी, गणेश मुंडा समेत कई अन्य कार्यकर्ता और नेता उपस्थित रहे.

वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का सम्मान

सम्मेलन के दौरान भाजपा और अन्य संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अटल जी के साथ काम किया था. उन्हें स्मृति चिन्ह और तिलक लगाकर सम्मानित किया गया.

सम्मानित कार्यकर्ताओं में अप्पा राव, राम सिंह मुंडा, हरेंद्र पांडेय, जितेंद्र मिश्रा, किशन महाराज, सुखदेव गिरी, बिमला देसाई, दशरथ चौबे, शिव प्रकाश शर्मा, पुरुषोत्तम मिश्रा, नीलकमल शेखर, पंचम जंघेल, ओम प्रकाश सिंह, ललन चौहान, अमरेंद्र मल्लिक, अंजन सरकार, हरिकिशोर तिवारी, महेश्वर प्रसाद सिंह, हलदर नारायण साह, मोहन कुमार, श्रीराम प्रसाद, डीडी त्रिपाठी, तारानंद कामत, सुरेश केडिया, अश्विनी अवस्थी, हरेंद्र सिंह, शैलेश पाठक, रेणु झा आदि शामिल थे.

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