जमशेदपुर : देश में स्कूल एजुकेशन को री-स्ट्रक्चर करने की जरूरत है. एजुकेशन इस प्रकार की होनी चाहिए, जिसमें परफेक्शन, एक्सीलेंस अौर एक्यूरेसी हो. यह बातें अंतरिक्ष वैज्ञानिक पद्म विभूषण डॉ के कस्तूरीरंगन ने कहीं. श्री कस्तूरीरंगन शनिवार को लोयोला स्कूल के फेजी ऑडिटोरियम में आयोजित टाटा एजुकेशन एक्सीलेंस के वार्षिक पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, इस प्रकार के कार्यक्रम की वास्तव में काफी जरूरत है.
सतत विकास के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम के जरिये स्कूलों को अलग-अलग पैमाने पर परखा जा सकता है. इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सके. इसके लिए उन्होंने सरकार के समक्ष अपनी बातों को रखने की बात भी कही. डॉ कस्तूरीरंगन ने कहा, देश की नयी शिक्षा नीति में करीब दो करोड़ लोगों ने सुझाव दिये. सभी सुझावों पर विचार किया गया है.
अभी स्थिति यह है कि पांचवीं के बच्चे दूसरी क्लास के मैथ नहीं जानते हैं. उनकी भाषा भी काफी खराब है. लिबरल एजुकेशन की आवश्यकता है. साथ ही 10वीं व 12वीं की बोर्ड एग्जाम को भी री-अॉर्गनाइज करने की योजना है. देश में 17,000 सिंगल टीचर स्कूल हैं. उन्होंने कहा कि टीचर रिक्रूटमेंट प्रॉसेस में भी बदलाव की आवश्यकता है. शैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच के साथ ही इंटरव्यू व डेमो भी होने चाहिए.