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जमशेदपुर : प्रधान सचिव के आदेश पर सात दिनों में देनी थी मेडॉल की जांच रिपोर्ट, सात महीने के बाद भी टीम नहीं पहुंची एमजीएम
शिकायत मिलने पर अप्रैल 2018 में गठित की गयी थी टीम, जांच के लिए सदस्यों को लिखा गया था पत्र चंद्रशेखर जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में चल रही पैथोलॉजी लैब मेडॉल द्वारा बिल में की जा रही गड़बड़ी को लेकर पूर्व प्रधान सचिव निधि खरे ने जांच के लिए अप्रैल 2018 में तीन सदस्यीय टीम […]
शिकायत मिलने पर अप्रैल 2018 में गठित की गयी थी टीम, जांच के लिए सदस्यों को लिखा गया था पत्र
चंद्रशेखर
जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में चल रही पैथोलॉजी लैब मेडॉल द्वारा बिल में की जा रही गड़बड़ी को लेकर पूर्व प्रधान सचिव निधि खरे ने जांच के लिए अप्रैल 2018 में तीन सदस्यीय टीम गठित की थी.
इस संबंध में टीम के सदस्यों को पत्र लिखकर बताया गया था कि एमजीएम जमशेदपुर में मुख्यमंत्री नि:शुल्क डाग्नोस्टिक एवं रेडियोलॉजी जांच योजना के अधीन पीपीपी मोड पर कार्यरत एजेंसी मेडॉल द्वारा की जा रही जांच एवं उसके संदर्भ में समर्पित प्रतिवेदन या विपत्र में अनियमितता की शिकायतें प्राप्त हो रही है, जिसकी जांच कर रिपोर्ट एक सप्ताह में विभाग को देने के लिए कहा था.
लेकिन आदेश के सात महीने बीत जाने के बाद भी टीम के सदस्य अभी तक मामले की जांच के लिए एमजीएम नहीं पहुंचे हैं. इसके कारण मेडॉल द्वारा अभी भी गड़बड़ी की जा रही है और उस पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है. वहीं दूसरी ओर मेडॉल द्वारा दिये जा रहे बिल के फर्जी होने की बात सामने आने पर बिल की सही तरीके से जांच नहीं हो, इसको लेकर समय पर बिल देना बंद कर दिया गया है. इतना ही नहीं मेडॉल द्वारा इसके लिए बनाये गये पोर्टल का यूजर आइडी और पासवर्ड भी बदल दिया गया है.
सितंबर व अक्तूबर के बिल से संबंधित कागजात अभी तक नहीं किये गये हैं जमा : अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ नकुल चौधरी ने बताया कि मेडॉल को हर महीने की पांच तारीख तक बिल देने के लिए कहा गया है, ताकि उसकी आसानी से जांच की जा सके. इसके लिए अधीक्षक द्वारा मेडॉल को पत्र भी लिखा गया है, इसके बाद हर महीने सही समय पर बिल नहीं दिया जा रहा है.
उपाधीक्षक ने कहा कि मेडॉल द्वारा तीन से चार महीने का बिल एक साथ दिया जाता है, जिससे उस बिल की सही से जांच करने में परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि अभी भी सिर्फ अगस्त तक का ही बिल से संबंधित कागजात उपलब्ध कराया गया है, जिसकी जांच चल रही है. लेकिन सितंबर और अक्तूबर के बिल से संबंधित कागजात और बिल अभी तक नहीं दिये गये.
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