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जमशेदपुर : चंडीनगर-छायानगर के लोगों का डीसी ऑफिस तक पैदल मार्च आज

जमशेदपुर : चंडीनगर-छायानगर में संभावित प्रशासनिक कार्रवाई के विरोध में बस्ती बचाअो समिति के बैनर तले शुक्रवार को बस्तीवासी पैदल मार्च निकाल कर उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगे. दूसरी ओर उपायुक्त अमित कुमार ने इस सूचना को भ्रामक बताते हुए चंडीनगर-छायानगर में घरों को तोड़ने की किसी योजना से इनकार किया है. उपायुक्त ने बस्तीवासियों […]

जमशेदपुर : चंडीनगर-छायानगर में संभावित प्रशासनिक कार्रवाई के विरोध में बस्ती बचाअो समिति के बैनर तले शुक्रवार को बस्तीवासी पैदल मार्च निकाल कर उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगे. दूसरी ओर उपायुक्त अमित कुमार ने इस सूचना को भ्रामक बताते हुए चंडीनगर-छायानगर में घरों को तोड़ने की किसी योजना से इनकार किया है. उपायुक्त ने बस्तीवासियों से किसी की बातों में आकर नहीं घबराने की अपील की है.
उपायुक्त के अनुसार पूर्व में जहां कहीं से अतिक्रमण हटाया गया वहां प्रशासन द्वारा नोटिस देकर, सूचना प्रसारित करने के बाद कार्रवाई की गयी. घनी आबादी वाले क्षेत्र छायानगर-चंडीनगर में प्रशासन ने कोई नोटिस नहीं दी गयी है अौर न ही फिलहाल तोड़ने की कोई योजना है. दूसरी अोर झाविमो के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने बयान जारी कहा है कि शुक्रवार को चंडीनगर-छायानगर के हजारों बस्तीवासी छायानगर से पैदल मार्च कर उपायुक्त कार्यालय पहुंचेंगे और प्रदर्शन कर मालिकाना हक की मांग करेंगे.
इस दौरान राज्यपाल के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जायेगा. प्रदर्शन का नेतृत्व वह स्वयं करेंगे. अभय सिंह ने प्रदर्शन को लेकर गुरुवार को बस्तीवासियों के साथ बैठक की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा बस्तियों को उजाड़ने की है, यही कारण है कि ये बस्तियां आज भी टाटा लीज के अंतर्गत है.
सरकार केवल 2019 तक रूकी हुई है अौर उसके बाद अपने मकसद के लिए गरीबों को उजाड़ेगी. विगत दिनों सालों से रहने वालों पर टिनप्लेट में बुलडोजर चलाया गया, पर अब तक उनके पुनर्वास की नीति नहीं बनायी गयी. सरकार गरीबों को अंबानी के माध्यम से मुफ्त सिलिंडर बांट रही है, पर गरीब के पास सिलिंडर भरवाने का पैसा कहां से आयेगा इसका प्रयास अभी तक नहीं किया गया है.
छायानगर और चंडीनगर को लीज से बाहर क्यों नहीं किया गया : अभय सिंह
झाविमो के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने बयान जारी कर कहा है कि 20 अगस्त 2005 को टाटा लीज एकरनामा में तत्कालीन नगर विकास मंत्री व वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास की क्या मजबूरी थी कि छायानगर, चंडीनगर, कल्याणनगर, कान्हु भट्ठा, लाल भट्ठा, बाबूडीह, नंदनगर का कुछ भाग, शांतिनगर, इंद्रानगर की बस्तियों को टाटा लीज से क्यों नहीं बाहर किया गया. मुख्यमंत्री ने समय-समय पर अपना बयान बदला है, कभी मालिकाना हक, कभी लीज बंदोबस्ती तो कभी यह हमारा मुद्दा नहीं था, की बात कही.
सरकार यह बताये कि किस हैसियत से टाटा स्टील उस जमीन पर केस लड़ रही है. सरकार यह भी बताये कि इस जमीन को रिलीज क्यों नहीं किया गया. मालिकाना हक या लीज बंदोबस्ती का इतना बड़ा ड्रामा सरकार ने क्यों किया. इस जमीन पर सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय क्या है सरकार जवाब दें.

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