Table of Contents
Landslide in Jharkhand: हजारीबाग के बभनबै पहाड़ पर अचानक हुआ भू-स्खलन केवल एक स्थानीय आपदा नहीं, बल्कि एक गंभीर पर्यावरणीय चेतावनी है. पत्थर उत्खनन जैसी मानवीय गतिविधियों ने वर्षों पहले इस पहाड़ की प्राकृतिक संरचना को कमजोर कर दिया था, जिसका असर अब विनाशकारी रूप में सामने आ रहा है. 2 मिनट के भीतर पहाड़ का विशाल हिस्सा ढहना न केवल प्राकृतिक संतुलन के टूटने का संकेत हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पर्यावरणीय नियमों और चेतावनियों की अनदेखी किस तरह भविष्य में और बड़ी त्रासदियों को जन्म दे सकती है.
सुबह 7 बजे पूरा इलाका धूल के गुबार से भर गया
हजारीबाग शहर से सटे बभनबै पहाड़ का एक हिस्सा सोमवार की सुबह करीब 7 बजे भरभराकर ढह गया. इससे पूरा इलाका धूल के गुबार से भर गया और कई पेड़-पौधे जमींदोज हो गये. पहाड़ के गिरने की आवाज एक किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ी. यह जिले की ऐसी पहली घटना है. कई लोगों ने इस घटना को मोबाइल में कैद किया है. घटना के बाद पहाड़ के आसपास बसी आबादी में दहशत है. इस घटना को लेकर शहर के पर्यावरणविदों ने चिंता जतायी है.
30 साल पहले पहाड़ पर हुआ था पत्थर का खनन
इस पहाड़ी में 30 साल पहले पत्थर उत्खनन का कार्य किया गया था. अचानक हुए भू-स्खलन से बभनबै पहाड़ का स्वरूप बदल गया है. 2 मिनट के अंदर पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा धंस गया. हजारों टन मलबा उसकी तलहटी में जमा हो गया है. कुछ मलबा खनन से बने तालाब में गिरा है. इससे पहाड़ की हरियाली को नुकसान हुआ है.
झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पहले फॉरेस्ट एक्ट लागू नहीं था- खनन पदाधिकारी
इधर, जिला खनन पदाधिकारी अजीत कुमार ने कहा कि 30 साल पहले फॉरेस्ट एक्ट लागू नहीं था. उस समय पहाड़ क्षेत्र में पत्थर उत्खनन किया गया था. इस खनन के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है. बभनबै पहाड़ की तराई में पत्थर उत्खनन के कारण यहां तालाब-सा बन गया है.
2 दिन से लगातार गिर रहे थे छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े
यहां आसपास के लोग नहाने व कपड़े धोने के लिए आते हैं. कुछ महिलाओं ने बताया कि 2 दिन से पहाड़ के ऊपर से छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े लगातार गिर रहे थे. वह इसे नजरअंदाज कर रहीं थीं.
Landslide in Jharkhand: पहले 3-4 बड़े पत्थर गिरे
प्रत्यक्षदर्शी उदय कुमार ने बताया कि सुबह 7 बजे रोज की तरह बभनबै पहाड़ के किनारे टहल रहा था. इसी दौरान पहाड़ी के एक हिस्से से 3-4 बड़े पत्थर गिरे. इससे वहां टहल रहे लोगों को कुछ अनहोनी की आशंका हुई. देखते ही देखते पहाड़ का कमजोर हिस्सा टूटकर नीचे गिर गया.
बभनबै पहाड़ पर भू-स्खलन मानवीय गतिविधियों के कारण हुआ है. इस पहाड़ पर कई दशक पहले पत्थर उत्खनन किया गया था. इस दौरान पहाड़ की संरचना में खराबी आ गयी. लगातार बारिश के कारण पहाड़ की जड़ तक पानी का रिसाव हुआ है. इससे मिट्टी और पत्थरों की पकड़ ढीली हो गयी. उत्खनन के दौरान खाली जगह को भरने का प्रयास नहीं किया गया और पहाड़ का आधार कमजोर हो गया. इसकी वजह से यह भू-स्खलन हुआ है.
डॉ सरोज, विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग
इसे भी पढ़ें
बिहार में एसआईआर का झारखंड में विरोध, भाकपा माले ने चुनाव आयोग को सौंपा ज्ञापन
PHOTOS: साहिबगंज में गंगा खतरे के निशान के पार, बाढ़ में घिरी 20 हजार आबादी, सभी स्कूल बंद
Karma Puja 2025: रांची में धूमधाम से मनेगा करम पूजा महोत्सव 2025, शुरू हो गयी तैयारी
मौसम विभाग ने एक के बाद एक 4 येलो अलर्ट जारी किये, इन जिलों में वर्षा-वज्रपात की चेतावनी

