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..भूमि सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण कार्य अधूरा, छह जिले के रैयत परेशान, अधिकारियों के आने से उम्मीदें जगी

झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के छह जिलों हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़ और बोकारो में भूमि सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण का कार्य लंबे समय से अधूरा पड़ा है.

हाल बंदोबस्त कार्यालय का

29हैज1में- बंदोबस्त कार्यालय

आरिफ

हजारीबाग. झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के छह जिलों हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़ और बोकारो में भूमि सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण का कार्य लंबे समय से अधूरा पड़ा है. इससे हजारों रैयतों को अपनी जमीन के मालिकाना हक को लेकर परेशानी हो रही है. वर्ष 1908 में पहली बार भूमि सर्वेक्षण हुआ था और 1932 में खाता-खतियान का वितरण किया गया था. इसके बाद 93 वर्षों तक कोई व्यापक अद्यतन नहीं हुआ, जिससे पुराने दस्तावेज जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं और जमीन से जुड़े विवाद बढ़ते जा रहे हैं.

इन जिलों में कुल 7070 गांव चिन्हित किये गये हैं, लेकिन अब तक केवल 4435 गांवों का किश्तवार, 4400 गांवों की खानापूरी, 704 गांवों की तस्दीक और 665 गांवों का प्रारूप प्रकाशन हुआ है. सबसे अंतिम चरण जांच अब तक केवल 48 गांवों में ही पूरा हो पाया है, जो सभी रामगढ़ जिले में स्थित हैं. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गांव नेमरा भी शामिल नहीं है. गिरिडीह जिले में सर्वाधिक 2763 गांवों को चिन्हित किया गया है, जबकि रामगढ़ में सबसे कम 351 गांव हैं.

भूमि दस्तावेजों की अद्यतन प्रक्रिया इसलिए जरूरी है क्योंकि इतने लंबे समय में रैयतों के परिवारों का विस्तार हुआ है, जमीन की खरीद-बिक्री हुई है और कई बार वंशावली में बदलाव आया है. पुराने खाता-खतियान में जिन पूर्वजों का नाम दर्ज है, उनके वंशजों को अब वंशावली बनाकर अपनी पहचान साबित करनी पड़ रही है. इससे न केवल समय और धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि विभागीय रिकॉर्ड रूम में बार-बार जाना भी आम हो गया है. कई मामलों में रिकॉर्ड में हेरफेर के कारण भूमि विवाद भी बढ़े हैं.

हाल ही में कुछ अधिकारियों की नियुक्ति से उम्मीद जगी है कि यह कार्य गति पकड़ेगा. उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह को बंदोबस्त पदाधिकारी का प्रभार मिला है, जबकि विजय कुमार महतो को सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी (मुख्यालय) नियुक्त किया गया है. इनके अलावा सुदीप एक्का, अरुण कुमार मुंडा और सुनामी मिंज भी सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. लगातार समीक्षा बैठकों के माध्यम से कार्य की प्रगति पर नजर रखी जा रही है और अधीनस्थ कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है. यदि भूमि सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण का कार्य समय पर पूरा होता है, तो रैयतों को अपनी जमीन का स्पष्ट और अद्यतन रिकॉर्ड मिलेगा, जिससे न केवल कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि भूमि विवादों में भी कमी आयेगी. यह कार्य झारखंड के ग्रामीण समाज के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है.

छह जिले में अंचल एवं गांव की संख्या

क्रम संख्या- जिला – अंचल की संख्या – गांव की संख्या

01- हजारीबाग – 15 – 1335

02- रामगढ़ – 04 – 351

03- कोडरमा – 06 – 717

04- बोकारो – 07 – 426

05- गिरिडीह – 13 – 2763

06- चतरा – 10 – 1478

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