हजारीबाग. विनोबा भावे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में चांसलर लेक्चर सीरीज के तहत गुरुवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया. व्याख्यान का विषय ””””भारतीय ज्ञान परंपरा एवं कृत्रिम मेधा”””” था. मौके पर कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को अखंड भारत की ज्ञान परंपरा के संदर्भ में देखा जाना चाहिए. भारतीय ज्ञान परंपरा किसी के विरोध में नहीं, बल्कि समावेशी, समग्रता व संपूर्णता के परिप्रेक्ष्य में देखी जानी चाहिए. मुख्य वक्ता प्रो जंग बहादुर पांडेय (पूर्व अध्यक्ष, रांची विवि सह प्रति कुलपति थावे विद्यापीठ) ने कहा कि ज्ञान श्रद्धा, तत्परता व इंद्रिय निग्रह से प्राप्त किया जा सकता है. वहीं विशिष्ट वक्ता डॉ ताराकांत शुक्ल (पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, विभावि) ने भारतीय ज्ञान को संस्कृत की सुदीर्घ परंपरा से जोड़कर प्रस्तुत किया.इस अवसर पर डॉ सुबोध कुमार सिंह, डॉ रामप्रिय प्रसाद, डॉ कृष्ण कुमार गुप्ता (अध्यक्ष, हिंदी विभाग, विभावि), डॉ केदार सिंह, डॉ सुनील कुमार सहित कई वक्ताओं ने विचार रखे.
कुलपति से मिले सीनियर प्रोग्राम मैनेजर
हजारीबाग. सपोर्ट संस्था के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर रवींद्र कुमार सिंह ने गुरुवार को विनोबा भावे विश्वविद्यालय (विभावि) के कुलपति डॉ शशिभूषण शर्मा से शिष्टाचार मुलाकात की. उन्होंने सपोर्ट संस्था द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र-छात्राओं को सपोर्ट संस्था में इंटर्नशिप के लिए भी प्रेरित किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है