डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर विशेष
डॉ. भीमराव आंबेडकर का झारखंड से गहरा जुड़ाव था. वे मजदूरों के अधिकारों के लिए 1942 और 1945 में हजारीबाग, कोडरमा और धनबाद आये. संविधान निर्माता होने के साथ-साथ वे एक श्रमिक नेता भी थे. 1955 में उन्होंने झारखंड अलग राज्य की मांग का समर्थन किया और राज्य पुनर्गठन आयोग को सुझाव दिया कि बिहार को उत्तर और दक्षिण बिहार में विभाजित किया जाये, जिसमें रांची को दक्षिण बिहार की राजधानी बनाया जाये. 1942 से 1946 तक वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य रहते हुए उन्होंने मजदूरों के कल्याण के लिए कई कानून लागू किये और त्रिपक्षीय बैठकें शुरू करवायी. नौ दिसंबर 1943 को वे धनबाद पहुंचे और भूली-बेरारी कोयला खदान का निरीक्षण किया. उन्होंने मजदूरों से शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा सुविधाओं के बारे में जानकारी ली और महिला वार्ड का भी निरीक्षण किया. दामोदर नदी को उस समय बिहार और बंगाल का शोक कहा जाता था क्योंकि बार-बार बाढ़ आती थी. आंबेडकर ने अमेरिकी टेनेसी घाटी परियोजना का अध्ययन कर दामोदर घाटी परियोजना का प्रस्ताव रखा. उनके प्रयासों से यह परियोजना लागू हुई और बिहार, ओडिशा तथा बंगाल को बाढ़ की विपत्ति से राहत मिली.
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