बड़कागांव. प्रखंड क्षेत्र के महोदी और डुमारो जंगल वन समिति की सख्त पहरेदारी से काफी घने हो गये हैं. कारतरी और पंडरिया के जंगल को 19 हिस्सों में बांटा गया है, जिनकी देखरेख ग्राम वन संरक्षण समिति करती है. इन जंगलों में 90 फीसदी सखुआ के पेड़ और 10 फीसदी अन्य पेड़ हैं. वन और पेड़-पौधों को बचाने के लिए गांव की दीवारों पर जागरूकता संबंधी पेंटिंग की गयी है. वन समिति के पूर्व अध्यक्ष बालेश्वर महतो ने बताया कि 2003 से पहले लकड़ी माफिया द्वारा अंधाधुंध कटाई की जाती थी. इन जंगलों में खैर की लकड़ियों तक काट दी जाती थीं, जिससे पशु-पक्षियों पर भी प्रभाव पड़ने लगा था.
दातून तोड़ने पर भी जुर्माना
खैरातरी, काड़तरी और सिरमा के लोग जंगल की रक्षा करते थे, लेकिन लकड़ी चोरी नहीं रुक रही थी. इसीलिए 2003 में वन ग्राम समिति का गठन किया गया, जिसमें 56 सदस्य हैं. श्री महतो ने बताया कि अब पेड़-पौधों को काटना तो दूर, दातून के लिए टहनी तोड़ने और पत्ते तोड़ने पर भी जुर्माना लगाया जाता है. अगर किसी ने पेड़ या पत्ते तोड़े, तो वन समिति पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाती है. इसके अलावा, वन अधिनियम के तहत पेड़ काटने वाले को जेल भी भेजा जाता है.गिरी हुई सूखी लकड़ी ले जाने की अनुमति
उन्होंने बताया कि जंगल में गिरी हुई सूखी लकड़ी को ही ले जाने की अनुमति समिति देती है. यहां की वन समिति जंगल और आसपास के पेड़-पौधों को बचाने में काफी सक्रिय है. महुआ गिरने के दौरान जंगल में लगी आग को भी समिति द्वारा बुझाया जाता है. 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने वन समिति के अध्यक्ष बालेश्वर महतो को पुरस्कृत किया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है