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खत्म नहीं हुआ ‘तीन तलाक’ का आतंक, महिलाअों को कोर्ट पर भरोसा, पुरुष उड़ा रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां

संजय सागर बड़कागांव : एक साथ तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया, लेकिन ‘तलाक’ का दुरुपयोग करनेवालों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा. आज भी मुस्लिम समाज के पुरुष इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची से महज 90 किलोमीटर दूर हजारीबाग जिले में एक ऐसी घटना […]

संजय सागर

बड़कागांव : एक साथ तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया, लेकिन ‘तलाक’ का दुरुपयोग करनेवालों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा. आज भी मुस्लिम समाज के पुरुष इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. झारखंड की राजधानी रांची से महज 90 किलोमीटर दूर हजारीबाग जिले में एक ऐसी घटना सामने आयी है.

जिले के बड़कागांव प्रखंड की फातिमा को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के अगले ही दिन इसका दंश झेलना पड़ा. 23 अगस्त को बड़कागांव के बादम निवासी फातमा सुरैया पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उसके शौहर कैफी आलम ने उसे एक साथ तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कहा और मासूम बेटे के साथ घर से निकाल दिया.

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इस वाकया के बाद फातमा ने इसकी जानकारी अपने मायकेवालों को दी. सामाजिक पहल हुई, लोगों ने मामले को रफा-दफा करवाने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद मामला बड़कागांव थाना पहुंचा. थाने में फातमा सुरैया ने न्याय की गुहार लगायी है.

बताया जाता है कि चितरपुर निवासी मो मस्सिउल्लाह की पुत्री फातमा सुरैया ने बताया कि बादम निवासी फखरे आलम के पुत्र कैफी आलम से उसका निकाह आठ जून, 2012 को हुआ था. निकाह के दौरान शौहर को दो लाख रुपये नकद के साथ फ्रिज, कूलर एवं छह लाख के जेवरात व अन्य सामग्री दी गयी थी. निकाह के एक साल बाद पुत्र का जन्म हुआ. दोनों चितरपुर में रह रहे थे.

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इस बीच, चितरपुर में जमीन खरीदने के लिए शौहर ने परिजनों से अप्रैल में पांच लाख रुपया लिया. बाद में वह मुकर गया. आठ अगस्त को दोनों बादम आ गये. 23 अगस्त को अचानक शाम पांच बजे फखरे आलम ने जबरन तलाक, तलाक, तलाक कहा और फातिमा को घर से निकाल दिया.

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फातमा के अनुसार, उसके शौहर का संबंध अन्य लड़की से है. सूचना मिलने पर परिवार के लोग बादम पहुंचे और समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना. कमेटी में भी मामले को सुलझाने का प्रयास हुआ, लेकिन हल नहीं निकला.

उधर, बादम गांव के शेख अब्दुल्ला ने बताया कि इन दोनों का तलाक अवैध है, लेकिन लड़का दूसरी शादी करने पर उतारू है. फलस्वरूप वह किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है. वहीं, फातमा ने कहा है कि तलाक के मामले में बादम कमेटी ने सख्ती से मामले की सुनवाई नहीं की. 20 दिन बाद निर्णय लेने की बात कही, तब तक वह फिर से निकाह कर लेता. ऐसी स्थिति में वह परिजनों के साथ बड़कागांव थाना पहुंची और न्याय की गुहार लगायी. फातमा ने कहा कि उसे न्यायालय पर भरोसा है.

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