दुजर्य पासवान, गुमला
गुमला सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवा नहीं है. दो महीने पहले दवा खत्म हो गयी है. दवा नहीं मिलने से मरीज परेशान हैं. सरकार से आवंटन की अभी जो स्थिति है, संभवत: और दो महीने दवा की कमी रहेगी और इससे लोगों को जूझना पड़ेगा. क्योंकि सरकार से दवा खरीदने के लिए पैसा मांगा गया. लेकिन आवंटन नहीं हुआ है. वर्ष 2014-2015 में भी दवा खरीदने के लिए कम पैसा मिला था. जिस कारण समय से पहले दवा खत्म हो गयी.
जानकारी के अनुसार दवा खरीदने के लिए 30 लाख रुपये मांगा गया था. इसमें मात्र आठ लाख रुपये ही मिला. इस कारण दो महीने पहले ही सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवा खत्म हो गयी. नये वित्तीय वर्ष 2015-2016 के लिए सरकार से पुन: 30 लाख रुपये की मांग किया गया है. जिससे एक साल तक किसी प्रकार की दवा की कमी न हो सके.
गरीब मरीज सबसे ज्यादा परेशान
हर दिन 300 से 350 लोग इलाज के लिए अस्पताल आते हैं. इसमें से 80 प्रतिशत मरीज गरीब परिवार से होते हैं. जिनके पास दवा खरीदने के लिए पैसा नहीं रहता है. सरकारी अस्पताल पर ही निर्भर रहते हैं. लेकिन सरकारी अस्पताल से इन्हें बीते दो महीने से सिर्फ इलाज का लाभ मिल रहा है. दवा नहीं मिल रहा है.
सीएस ने सचिव को पत्र लिखा : दवा नहीं रहने की जानकारी मिलने के बाद नये सीएस डॉ कैप्टन शेषनारायण झा ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने दवा खत्म होने की जानकारी देते हुए आवंटन की मांग की है.
75 से 80 हजार लोगों की होती है जांच
सदर अस्पताल में कहने को 100 शैय्या हैं, लेकिन यहां जो सुविधा है, वह लोगों के लिए कम है. आदिवासी बहुल जिला है. यहां अधिकांश लोग गरीब व किसान हैं. कोई भी बीमारी होने पर ये लोग सरकारी अस्पताल पर निर्भर हैं. सदर अस्पताल प्रबंधन विभाग का आंकड़ा देखें तो एक वर्ष में 75 से 80 हजार लोगों की स्वास्थ्य जांच होती है. यह आंकड़ा सिर्फ सदर अस्पताल का है.
छह साल के आवंटन की स्थिति (लाख में)
वर्ष मांगा पैसा मिला पैसा
2009-10 2000000 1800000 2010-11 2000000 1323000
2011-12 4000000 2000000
2012-13 2500000 1300000
2013-14 3500000 1500000
2014-15 3000000 800000