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हिमाचल में भटक रही फूलकुमारी के लिए परिवार का प्यार छलका, वापस लाने की लगायी गुहार

दुर्जय पासवान, गुमला गुमला की फूलकुमारी हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर भटक रही है. यह समाचार प्रभात खबर में छपने के बाद परिवार के सदस्यों का प्यार फूलकुमारी के प्रति छलक उठा है. बड़ा भाई गोंगा नायक ने कहा है कि वह गरीब है. अपनी बहन को हिमाचल प्रदेश से लाकर इलाज नहीं करा सकता […]

दुर्जय पासवान, गुमला

गुमला की फूलकुमारी हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर भटक रही है. यह समाचार प्रभात खबर में छपने के बाद परिवार के सदस्यों का प्यार फूलकुमारी के प्रति छलक उठा है. बड़ा भाई गोंगा नायक ने कहा है कि वह गरीब है. अपनी बहन को हिमाचल प्रदेश से लाकर इलाज नहीं करा सकता है. उन्होंने गुमला प्रशासन से फूलकुमारी को हिमाचल प्रदेश से झारखंड वापस लाकर इलाज कराने में मदद करने की गुहार लगायी है.

गोंगा ने कहा कि उसकी बहन सदमें से अर्द्धविक्षिप्त हुई है. अगर उसका इलाज हो तो वह ठीक हो सकती है. गोंगा के अनुसार फूलकुमारी के साथ उसके पति ने मारपीट कर उसके बच्चों से अलग कर दिया. जिस कारण वह अर्द्धविक्षिप्त हो गयी. इधर, ‘प्रभात खबर’ ने फूलकुमारी के पति राजू नायक उर्फ राजेंद्र को खोज निकाला है. राजू अभी पालकोट प्रखंड के बघिमा नायकटोली में अपनी दूसरी पत्नी सोनी देवी के साथ रहता है.

‘प्रभात खबर’ के प्रतिनिधि राजू के घर पहुंचकर उससे पहली पत्नी फूलकुमारी को छोड़ने के कारण की जानकारी ली. राजू ने बताया कि उसका अपना घर बसिया प्रखंड के कंजोगा गांव में है. वह गुमला में मजदूरी करने आया था. तभी वर्ष 1999 में उसने करौंदी गांव की फूलकुमारी के साथ शादी की. शादी के बाद दो बेटा व दो बेटी हुई. लेकिन वर्ष 2011 में अचानक फूलकुमारी की दिमागी हालात खराब हो गयी. उसने गांव स्तर पर कई जगह इलाज कराया. झाड़ फूंक भी कराया. लेकिन फूल कुमारी ठीक नहीं हुई. 2011 में उसने फूल कुमारी को छोड़ दिया. इसके बाद वर्ष 2012 में वह बघिमा नायक टोली की सोनी देवी से शादी कर ली. अभी वह घर जमाई बनकर दूसरी पत्नी के घर में रह रहा है.

दूसरी शादी करने के बाद एक पैर से हो गया विकलांग

राजू नायक दूसरी शादी कर खुशहाल जिंदगी जी रहा था. लेकिन अचानक उसका दाहिना पैर में दर्द उठा. वह इलाज कराकर थक गया. लेकिन उसका पैर ठीक नहीं हुआ. पैर में जख्म हो गया है. अब वह चलने में असमर्थ है. अगर कहीं जाना है तो वह लाठी के सहारे चलता है. दिनभर घर पर पड़ा रहता है. हालांकि उसके पैर का इलाज डॉक्टरी सलाह पर चल रहा है. दवा भी खा रहा है.

राजू ने बताया कि फूलकुमारी की दो बेटी निशा व विनीता है. इन दोनों को वह रांची में घरेलू काम करने के लिए छोड़ दिया है. निशा व विनीता महीने-दो महीने में अपने पिता राजू को चार से पांच हजार रुपये भेजती है. उसी पैसे से इलाज चल रहा है. राजू ने कहा कि मेरी बेटियों की कमाई से मेरा इलाज चल रहा है. अगर वे नहीं रहती तो उसका जीना दूभर हो जाता. क्योंकि वह अब काम करने में असमर्थ है. दूसरी पत्नी गांव में कुछ काम कर लेती है. लेकिन उससे घर की जीविका नहीं चलती है. सरकारी सुविधा भी परिवार को नहीं मिली है. इसलिए बेटियों की कमाई से पिता व सौतेली मां जी खा रहे हैं. राजू ने कहा कि अब मेरी स्थिति ठीक नहीं है कि मैं अपनी पहली पत्नी फूलकुमारी का इलाज करा सकूं. गुमला प्रशासन ही अब कोई मदद कर सकता है.

गांव के लोग प्यार से फूल कुमारी को कोम्बो कहते हैं

फूलकुमारी जैसा नाम उसका व्यवहार वैसा ही था. वह बचपन से हंसमुख व मिलनसार थी. जब ‘प्रभात खबर’ ने करौंदी गांव पहुंचकर फूलकुमारी के बचपन की सहेलियों से बात की तो वे खुलकर बात करने लगी. गांव के लोगों ने कहा कि फूलकुमारी को गांव में प्यार से कोम्बो नाम से बुलाते थे. उसकी मौसेरी बहन राजपति देवी ने कहा कि मेरी प्यार गुड़िया को उसके पति ने विक्षिप्त बना दिया. दूसरी शादी करने के चक्कर में राजू फूलकुमारी के साथ मारपीट करने लगा. यहां तक कि उसके बच्चों से भी उसे दूर कर दिया. फूलकुमारी अपने बच्चों से मिलने के लिए तरसती रही. लेकिन राजू बेटियों से मिलने नहीं दिया. जिससे फूलकुमारी मानसिक रूप से बीमार हो गयी. समय पर इलाज नहीं होने से उसका असर पड़ा और आज वह भटक रही है.

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