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जिंदा हम तभी रहेंगे, जब संतुलित रहेगा पर्यावरण

गुमला : जिंदा हम तभी रहेंगे, जब पर्यावरण संतुलित रहेगा. अगर पर्यावरण के प्रति अभी नहीं चेते, तो भविष्य में खतरा बढ़ जायेगा. अभी अवसर है. पानी बचायें. जंगल से पेड़ों को कटने से रोकें. अभी बारिश का मौसम है. प्रयास करें, पानी का संग्रह हो. जंगल से जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उसे […]

गुमला : जिंदा हम तभी रहेंगे, जब पर्यावरण संतुलित रहेगा. अगर पर्यावरण के प्रति अभी नहीं चेते, तो भविष्य में खतरा बढ़ जायेगा. अभी अवसर है. पानी बचायें. जंगल से पेड़ों को कटने से रोकें.

अभी बारिश का मौसम है. प्रयास करें, पानी का संग्रह हो. जंगल से जो पेड़ काटे जा रहे हैं, उसे रोके. प्रशासन फेल हो, तो ग्रामीण खुद पहल करें. ऐसे गुमला जिला घने जंगलों से घिरा हुआ है, लेकिन यहां लकड़ी माफिया भी हावी हैं, जो जंगल से पेड़ को काट रहे हैं. पेड़ों को काटने से रोकने की कोई पहल नहीं हो रही है. वन विभाग के अनुसार, गुमला के 32257.12 एकड़ भूखंड पर जंगल है. जिले में अंतर्गत 944 गांव है.
इसमें अधिकतर गांव जंगल के समीप है. यहां तक कि गुमला शहर भी जंगल (सारू, बरिसा व तिर्रा जंगल) से सटा हुआ है. विभाग का दावा है कि गुमला में जंगल बढ़ रहे हैं. यह सब संभव हुआ है ग्राम रक्षा समिति व वन विभाग के अधिकारियों की मेहनत से. यहां विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर रहते हैं.
लेकिन धरातल पर जांच करेंगे, तो पता चलेगा कि कई जगह जंगल से पेड़ काटे गये हैं. बॉक्साइट उत्खनन से जंगल बर्बाद हो रहे हैं. जंगल कटने के कारण ही गुमला जिले में हाथी व भालू खतरनाक साबित होते रहे हैं. उजड़ते जंगल के कारण ये जानवर गांव में घुस कर लोगों पर हमला करते हैं. कई लोगों की जान भी ले चुके हैं, इसलिए जरूरी है कि हम जंगल बचायें.

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