रांची : गुमला के कामडारा थाना क्षेत्र के आमटोली जंगल में एनकाउंटर में मारे गये पीएलएफआइ के तीन उग्रवादियों में से एरिया कमांडर गुज्जू गोप के खिलाफ 38 उग्रवादी केस दर्ज थे. अधिकांश केस बानो, कोलेबिरा, जलडेगा सहित दूसरे थानों में दर्ज थे. दर्ज केस में 21 केस हत्या से संबंधित थे.
यह जानकारी रविवार की रात आठ बजे पुलिस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आइजी अभियान आशीष बत्रा और आइजी सीआरपीएफ संजय आनंद लाटकर ने संयुक्त रूप से दी. आइजी अभियान ने बताया कि अभियान के दौरान आमटोली जंगल में पीएलएफआइ के उग्रवादी दिनेश गोप को देखे जाने की सूचना मिली थी.
इसके बाद सर्च अभियान चलाया गया, जिसमें पुलिस के साथ उग्रवादियों की मुठभेड़ हुई. उग्रवादी किसी घटना को अंजाम देने के लिए जुटे थे. आइजी ने बताया कि एनकाउंटर में चार या पांच अन्य उग्रवादी भी घायल हुए हैं, जिनके बारे में भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है. अामटोली जंगल में दिनेश गोप था या नहीं, इसका भी सत्यापन किया जा रहा है. गुज्जू गोप के शव की पहचान उसकी पत्नी, सास और साला ने गुज्जू गोप के रूप में ही की है.
आतंक का पर्याय था
श्री बत्रा ने बताया कि गुज्जू गोप आतंक का पर्याय बना हुआ था. गुज्जू गोप पर सिमडेगा जिला के बानो थाना के एक पुलिस पदाधिकारी विद्यापति सिंह सहित कई पुलिस कर्मियों की हत्या का आरोप था.
एनकाउंटर में पुलिस और कोबरा की टीम ने गुज्जू गोप को मार कर अपने शहीद साथी का बदला लिया है. आइजी अभियान ने बताया कि झारखंड पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के संयुक्त प्रयास से नक्सलियों और उग्रवादियों के खिलाफ लगातार सफलता मिल रही है.
उन्होंने कहा कि झारखंड में जो बचे हुए उग्रवादी और नक्सली हैं, वे भी सरकार की सरेंडर नीति के तहत सरेंडर कर दें, नहीं तो उनका भी अंजाम यही होगा. आइजी अभियान के अनुसार पुलिस लगातार पीएलएफआइ के उग्रवादियों और नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रही है. अभियान के दौरान जनवरी माह से अभी तक पीएलएफआइ के नौ उग्रवादी और भाकपा माओवादी के दो नक्सली मारे जा चुके हैं.