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गुमला : दो लाख रुपये पीड़ित परिवार को देने का निर्देश

दुष्कर्म पीड़िता की डॉक्टर ने इलाज करने से किया था इंकार, मानवाधिकार आयोग ने की कार्रवाई मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव से कहा कि पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये मुआवजा दे वर्ष 2017 के अक्तूबर माह में 20 वर्ष के युवक ने तीन वर्ष की बच्ची से किया था दुष्कर्म दुर्जय पासवान, गुमला :परमवीर […]

  • दुष्कर्म पीड़िता की डॉक्टर ने इलाज करने से किया था इंकार, मानवाधिकार आयोग ने की कार्रवाई
  • मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव से कहा कि पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये मुआवजा दे
  • वर्ष 2017 के अक्तूबर माह में 20 वर्ष के युवक ने तीन वर्ष की बच्ची से किया था दुष्कर्म
दुर्जय पासवान, गुमला :परमवीर अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड के सिकरी गांव की दुष्कर्म की शिकारतीन वर्ष की बच्ची के इलाज में चैनपुर अस्पताल के डॉक्टर ने देरी की थी. इस मामले में मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली ने कार्रवाई करते हुए पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है. मानव अधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा के अनुसार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. इसमें आयोग ने घटना का जिक्र करते हुए पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये मुआवजा के तौर पर देने को कहा है.
साथ ही अस्पताल की लापरवाही की भी जांच कर छह सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगा है. यहां बता दें कि वर्ष 2017 के अक्तूबर महीने में दीपावली के दिन तीन वर्ष की बच्ची के साथ गांव के लेपरा खेरवार (20 वर्ष) ने दुष्कर्म किया था. जब बच्ची जख्मी हालात में घर पहुंची और उसकी तबीयत बिगड़ गयी तो परिजनों ने बच्ची को चैनपुर प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए लेकर आये़ लेकिन उस समय डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने बच्ची की जांच करने से इंकार कर दिया था.
डॉक्टर ने कहा था कि पहले जारी थाना में जाकर प्राथमिकी दर्ज कराये. क्योंकि यह पुलिस केस है. केस दर्ज होने के बाद जांच करेंगे. मजबूरन परिजन अस्पताल से 10 किमी दूर स्थित जारी थाना वापस गये. जहां परिजनों ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. इसके बाद पुन: 10 किमी गाड़ी पर बैठ कर अस्पताल पहुंचे. तब जाकर डॉक्टर ने दुष्कर्म की शिकार बच्ची का इलाज किया था.
डॉक्टर द्वारा तत्काल इलाज नहीं करने से पीड़ित परिवार को परेशानी झेलनी पड़ी थी. डॉक्टर की इस लापरवाही के खिलाफ वर्ष 2017 के अक्तूबर महीने में ही राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली में शिकायत की गयी थी. इसमें डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी थी. साथ ही पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने व कार्रवाई करने की मांग की गयी थी.
यह शिकायत कोडरमा जिला के डोमचांच के रहनेवाले मानव अधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने आयोग से की है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक साल बाद आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का निर्देश जारी किया है.
घटना इस प्रकार है : घटना 22 अक्तूबर 2017 की है.
अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड के सिकरी गांव की तीन साल की बच्ची के साथ गांव के ही लेपरा खेरवार (20 वर्ष) ने दुष्कर्म किया था. मानवता को शर्मशार करनेवाली इस घटना से सभी लोग आक्रोशित थे. दीपावली की शाम से बच्ची गायब थी. अगले दिन जब वह मिली तो जख्मी थी. सबेरे बच्ची रोते हुए अपने घर आयी. घरवालों ने पूछताछ की तब उसने अपनी टूटी-फूटी भाषा में लेपरा खेरवार का नाम लिया. बच्ची की स्थिति खराब होते देख घरवाले उसे चैनपुर प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गये.
जहां डॉक्टर ने इलाज नहीं किया. डॉक्टर द्वारा बोला गया कि पहले जारी थाना में आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराओ. इसके बाद ही इलाज हो सकता है. क्योंकि यह पुलिस केस है. डॉक्टर द्वारा इलाज से इंकार करने व थाना में केस करने के लिए कहने के बाद परिजन बेटी को लेकर जारी थाना पहुंचे.
पहले प्राथमिकी दर्ज करायी. इसके बाद उसे पुन: चैनपुर अस्पताल लाया गया. इसके बाद डॉक्टर ने प्राथमिक इलाज कर बच्ची को गुमला सदर अस्पताल रेफर कर दिया था. गुमला से बच्ची को रिम्स रेफर किया गया था. वहीं पुलिस ने आरोपी को उसी समय गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

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