।। दुर्जय पासवान ।।
जब प्रभात खबर के संज्ञान में मामला पहुंचा तक इसकी जानकारी अस्पतालकर्मियों को दी गयी. तब अस्पताल प्रबंधन ने गुमला पुलिस को एक पत्र लिखा. जिसमें अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस विभाग से शव को उठाने की मांग की. अंत में मामला गरमाता देख अस्पताल प्रबंधन ने बुधवार को दिन के दो बजे शव को चेयर से उतारकर पोस्टमार्टम हाउस में रखा.
अस्पतालकर्मियों ने बताया कि मंगलवार की सुबह को गुमला पुलिस एक अधेड़ व्यक्ति को लेकर अस्पताल आयी थी. स्थिति को देखते हुए उसे व्हील चेयर से अस्पताल के अंदर लाया गया. लेकिन कुछ देर के बाद ही अधेड़ की मौत हो गयी. अधेड़ की मौत के बाद शव को चेयर में रख दिया गया. इसके बाद चेयर के साथ शव को एक कोने में रखा दिया गया.
30 घंटे तक शव चेयर में पड़ा रहा. लेकिन किसी ने शव की सुध नहीं ली. जिस स्थान पर अधेड़ का शव चेयर में था. उसी के बगल में स्ट्रेचर में एक अन्य महिला का भी शव रखा गया था. शुरू में जो लोग भी चेयर में बैठे शव को देख रहे थे. उन्हें लग रहा था कि महिला की मौत के गम में उक्त व्यक्ति इस प्रकार चेयर में बैठा है. लेकिन जब कुछ लोगों ने बताया कि उक्त व्यक्ति जिंदा नहीं, चेयर में ही मर गया, तो उसे चेयर में ही छोड़ दिया गया.
* डीएस ने लिखा थानेदार को पत्र
24 घंटे से अधिक समय तक अस्पताल के एक कोने में शव पड़ा रहा. उसकी पहचानी करने का प्रयास की गयी. जब शव की पहचान नहीं हुई तो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आरएन यादव ने गुमला थाना प्रभारी को एक पत्र लिखे. जिसमें उन्होंने लावारिस लाश को उठाने की मांग की. पत्र में डीएस ने कहा है कि 13 नवंबर को एक लावारिस मरीज को अस्पताल में लाया गया था. उसका निंबधन संख्या 8443 है.
बेड नंबर 18 में उसे भरती कराया गया था. जिसका इलाज के दौरान मौत हो गयी. डीसी ने कहा है कि लावारिस हालात में शव रखा रहने से मरीजों को परेशानी हो रही है. लिए शव को उठाने की मांग की गयी है.