महागामा प्रखंड क्षेत्र में बारिश शुरू होते ही किसानों की चिंताएं भी बढ़ गयी हैं. खेतों में धान की अच्छी फसल के लिए समय पर खाद डालना आवश्यक है, लेकिन बाजार में खाद की कालाबाजारी और किल्लत से किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने बताया कि यूरिया की सरकारी दर 266 रुपये प्रति बैग है, लेकिन बाजार में यह 370 से 400 रुपये तक बेची जा रही है. वहीं डीएपी खाद की कीमत 1350 रुपये है, जो 1500 से 1800 रुपये तक बिक रही है. इससे खेती की लागत में भारी वृद्धि हो रही है. किसान जीवन कुमार और रामप्रसाद मंडल का कहना है कि बारिश के धान को पोषण देने के लिए खाद जरूरी है, लेकिन कालाबाजारी से परेशानी दोगुनी हो गयी है. यदि समय पर और उचित दर पर खाद नहीं मिली, तो फसल की पैदावार गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है.
हर साल दोहराई जाती है यही समस्या
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष वर्षा ऋतु में खाद की किल्लत और कालाबाजारी की वही कहानी दोहराई जाती है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि खाद की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाये और जो विक्रेता कालाबाजारी में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये, ताकि किसानों को राहत मिल सके और खेती बाधित न हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

