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गणतंत्र मेले का 36.81 लाख रुपये में हुआ डाक, हाईकोर्ट जायेंगे अन्य वक्ता

डाक में जानबूझ कर एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए नियम में बदलाव करने की कही गयी बात

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26 जनवरी के अवसर पर लगने वाले गणतंत्र मेले का डाक 36.81 लाख रुपये में हो गया है. डाक की सर्वाधिक बोली गुलजारबाग के राजेश कुमार द्वारा बोली गयी. बोली बोलने की प्रक्रिया बुधवार को बुलायी गयी थी. इस बाबत नगर परिषद के सभागार में वक्ताओं को बुलाया गया था, जिसमें बोली की प्रक्रिया नगर परिषद के प्रशासक आशीष कुमार व सिटी मैनेजर रोहित कुमार की देखरेख में प्रक्रिया अपनायी गयी. इस बार पिछले साल की तुलना में 31 हजार अधिक में डाक की रकम लगायी गयी है. पिछले साल 36 लाख 50 हजार में डाक बोला गया था.

वक्ताओं ने मेले के डाक को लेकर टेबल टेंडर का नगर परिषद पर मढ़ा आरोप

डाक बोलने गये पूर्व लेसीधारक रविंद्र पांडेय व पवन गाडिया द्वारा नगर परिषद पर अयोग्य करार देकर बोली बोलने से वंचित करने का आरोप लगाया गया है. बताया कि यह पूरा मामला नगर प्रबंधक की सोची समझी साजिश का नतीजा है. वक्ताओं को डाक में भाग लेने से हटा दिया गया. बोली नहीं बोलने दिया गया. एक ही परिवार के सदस्यों को डाक में बैठे रहने व लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया. श्री पांडेय ने बताया कि उनके द्वारा नगर परिषद की जारी बंदोबस्ती की सूचना के आलोक में टेंडर भरा गया था. जारी एनआइटी में नियम कानून के अनुसार पेपर आदि जमा किया गया था. लेकिन एक ही परिवार के लेसीधारक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से रातों-रात नियम में बदलाव कर दिया गया, जिससे भरी बैठक में अयोग्य करार देते जाने को कहा गया. ऐसा कर न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि उन्हें परेशान करने का काम किया गया. इस मामले को लेकर वे हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटायेंगे. पूरे विभाग को कटघरे में खड़ा करने का काम करेंगे. बताया कि पिछले 15 सालों से वे लगातार मेले का डाक लेते आये है और नगर परिषद को राजस्व का भुगतान करते आये हैं. नियम कानून की जानकारी उन्हें भी है, लेकिन इस बार जान बूझकर परेशान किया गया.

नियम कानून सबके लिए बराबर : सिटी मैनेजर

मामले पर नगर प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया कि किसी भी तरह का पक्षपात नहीं किया गया है. खुली डाक बोली गयी है. डाक में कुल नौ वक्ता थे. पेपर पूरा नहीं रहने पर ऐसा किया गया है. पिछले साल से ज्यादा राजस्व विभाग को आया है. पिछले 15 सालों से एक ही वक्ता डाक ले रहे थे, तब कोई परेशानी नहीं थी. इस बार नहीं मिलने पर मनगढंत आरोप लगाया जा रहा है. नियम सबों के लिए है. किसी को लाभ पहुंचाने का काम नहीं किया गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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