पथरगामा प्रखंड मुख्यालय में लाखों रुपये की लागत से बीडीओ, सीओ, जेई और अन्य कर्मचारियों के सरकारी आवास का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन पशु चिकित्सक आवास एवं पशु अस्पताल के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के लिए आवासीय सुविधा अब तक उपेक्षित है. बताया गया है कि लगभग 31 वर्ष पूर्व निर्मित पशु चिकित्सक और चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का आवासीय भवन दो वर्ष पूर्व पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. वर्तमान में उस स्थान पर जंगली झाड़ियों के बीच बिखरी ईंटें और ढह चुके दीवारों के अवशेष ही इन भवनों के अस्तित्व की कहानी कह रहे हैं. स्थिति इतनी विकट है कि प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ. वीरेंद्र कुमार के लिए भी कोई आवासीय सुविधा उपलब्ध नहीं है. वहीं प्रभारी पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार को ठहरने की व्यवस्था न होने के कारण रोजाना गोड्डा से आना-जाना करना पड़ता है. चतुर्थवर्गीय कर्मचारी मकेश्वर दर्वे एक जीर्ण-शीर्ण पुराने भवन में किसी तरह शरण लिए हुए हैं.
क्या कहते हैं प्रभारी पशु चिकित्सा पदाधिकारी
डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि पशु चिकित्सक व कर्मचारी आवास का निर्माण अत्यंत आवश्यक है. आवास की अनुपलब्धता से सेवा में निरंतरता बाधित होती है. उन्होंने मांग की कि विभाग इस दिशा में शीघ्र पहल करे, ताकि पशु चिकित्सा सेवाएं सुचारू रूप से जारी रह सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

