बसंतराय प्रखंड को प्रखंड का दर्जा मिले करीब 15 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज तक यहां पशु चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो सकी है. हैरानी की बात यह है कि अब तक प्रखंड के लिए पशु चिकित्सक का पद स्वीकृत ही नहीं हुआ है, जिससे पशुपालकों को लगातार मवेशियों के इलाज में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इलाज के लिए मजबूरीवश पशुपालक क्षेत्र के झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हैं, जिनकी उपचार प्रक्रिया अक्सर असुरक्षित और अपूर्ण होती है. समय पर उचित इलाज न मिल पाने से मवेशियों की मृत्यु तक हो जाती है, जिससे पशुपालकों को हजारों रुपये की आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है.
लगभग 90 हजार मवेशियों के लिए कोई चिकित्सक नहीं
प्रखंड क्षेत्र में लगभग 90 हजार मवेशी हैं, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. पशु चिकित्सक और कर्मियों की कमी के कारण सरकार की कई योजनाएं, जैसे टीकाकरण, कृमि नियंत्रण, गर्भाधान सेवा आदि सही समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं. इससे गरीब व मध्यम वर्गीय पशुपालक सरकारी लाभ से वंचित हो रहे हैं. स्थानीय पशुपालक वकील यादव, मो. फजीर, मो. अहमद, मो. मुलहाय, लखन यादव और मो. नजाम ने जिला उपायुक्त से मांग की है कि जल्द से जल्द प्रखंड के लिए पशु चिकित्सक का पद स्वीकृत कर नियुक्ति की जाये, ताकि मवेशियों का समुचित इलाज सुनिश्चित हो सके और पशुपालकों की समस्याओं का समाधान हो. यह मांग क्षेत्र के विकास और पशुपालकों के हित में बेहद जरूरी हो गयी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

