प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि 10 साल से तालाब किनारे अतिक्रमित भूमि को मुक्त नहीं कराया जा सका है. कई बार अंचल अधिकारी स्थल पर पहुंचे. अंचल कार्यालय ने अतिक्रमण हटाने का अल्टीमेटम दिया. बीते एक हफ्ते पूर्व भी 104 अतिक्रमणकारियों को अंचल कार्यालय से नोटिस जारी किया गया, जिसमें 10 मई तक अतिक्रमण मुक्त करने का सख्त निर्देश दिया गया. लेकिन अब तक जमीन अतिक्रमित है. प्रशासनिक आदेश की स्थिति यह है कि तय सीमा समाप्त होने के बावजूद अतिक्रमणकारी सरकारी जमीन पर कब्जा जमाये हुए है. पूरा मामला बसंतराय प्रखंड मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक तालाब किनारे स्थानीय दुकानदारों द्वारा किये गये अतिक्रमित भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का है. स्थानीय लोगों और समाज सेवियों की अगर मानें तो हर बार अतिक्रमण मुक्त कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी है.
अतिक्रमण के कारण अपना अस्तित्व खोता जा रहा है तालाब
आस्था का धरोहर ऐतिहासिक तालाब अतिक्रमणकारियों की वजह से धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. इस क्षेत्र के समाजसेवी और बुद्धिजीवियों द्वारा समय-समय पर अतिक्रमण मुक्त को लेकर आवाज भी उठाया गया है, मगर प्रखंड प्रशासन के उदासीन रवैये के चलते तालाब के चारों तरफ दुकानदारों ने अतिक्रमण कर आस्था का धरोहर ऐतिहासिक तालाब को पुरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है. अगर सूत्रों की मानें तो ऐतिहासिक तालाब के अतिक्रमित भूमि पर काबिज दुकानदारों ने उस जगह को अब किराये पर दूसरे दुकानदारों को दे रखा है और उनसे मोटी रकम किराये के रूप में वसूल रहे हैं. वहीं इन सब बातों से प्रखंड प्रशासन अनजान बना बैठा है. देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक प्रखंड प्रशासन ऐतिहासिक तालाब को अतिक्रमण मुक्त करा पाते हैं. मामले पर अंचल निरीक्षक राम सूचित महतो ने बताया कि सभी 104 अतिक्रमणकारियों को स्वयं से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था. प्रशासन द्वारा जल्द अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है