गोड्डा जिले के सदर प्रखंड स्थित खटनई काली मंदिर सांप्रदायिक एकता और अखंडता का जीवंत उदाहरण है. मंदिर के प्रधान पुजारी अरुण कुमार चौबे ने बताया कि इस वर्ष भी भव्य सजावट के साथ मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाएगी. श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मंदिर परिसर में पूजा के साथ भव्य मेला भी आयोजित किया जाएगा. पूजा और मेला दोनों कार्यक्रमों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों की भागीदारी होती है, जो सांप्रदायिक सद्भाव की परंपरा को मजबूत बनाता है. यह मंदिर लगभग 115 वर्ष पुराना ऐतिहासिक स्थल है और इसके आसपास मुस्लिम बस्ती होने के कारण यह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है. मंदिर की विशेषता यह है कि यह गोड्डा जिला और बिहार के बांका जिले की सीमा के समीप स्थित है, जिससे यह दोनों राज्यों की एकता एवं सद्भाव की मिसाल पेश करता है. मंदिर पूजा समिति में दोनों प्रांतों के सदस्य शामिल हैं. वर्तमान समिति में भी बिहार-झारखंड के कई लोग सहयोगी हैं. पूजा में प्रधान पुजारी अरुण कुमार चौबे के साथ भवेश चौबे, कुंदन चौबे, राजेश चौबे और प्रीतम चौबे की सक्रिय भागीदारी रहती है. पूजा-अर्चना के लिए खटनई, भारतीकित्ता, अमलो, वैद्यनाथपुर, मोतिया, बक्सरा, समरुआ, बहोरिया सहित बिहार के बांका जिले के पंजवारा, जानूकिता, नगरी, माराटीकर, गोविंदपुर, जसमतपुर, डूमरकोल व निझरी गांवों के लोग बड़ी संख्या में आते हैं. काली पूजा के दौरान दोनों समुदाय मिलकर नाटक का मंचन करते हैं और मेले का आयोजन भी करते हैं. इस वर्ष 22 व 23 अक्टूबर को भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे, जो बड़े धूमधाम से संपन्न होंगे. यह आयोजन क्षेत्र में भाईचारे और सद्भाव की मिसाल बनेगा.
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