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गोड्डा कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

गोड्डा कोर्ट . गोड्डा न्यायालय ने नाबालिग के साथ पिस्तौल का भय दिखा कर जबरन दुष्कर्म करने के आरोपी अर्जुन मांझी को दस साल की सश्रम कारावास की सजा हुई है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय बंशीधर तिवारी ने पथरगामा थाना अंतर्गत घाट पथरिया निवासी अर्जुन मांझी को गांव के ही एक नाबालिग के साथ […]

गोड्डा कोर्ट . गोड्डा न्यायालय ने नाबालिग के साथ पिस्तौल का भय दिखा कर जबरन दुष्कर्म करने के आरोपी अर्जुन मांझी को दस साल की सश्रम कारावास की सजा हुई है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय बंशीधर तिवारी ने पथरगामा थाना अंतर्गत घाट पथरिया निवासी अर्जुन मांझी को गांव के ही एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाया है. 8 सितंबर 2011 की रात्रि में घर में सोयी नाबालिग को अकेला पाकर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. नाबालिग के पिता द्वारा पथरगामा थाना में घटना को लेकर प्राथमिकी संख्या 144/11 दर्ज करायी गयी थी. आरोप पत्र समर्पित होने के पश्चात मामला सत्रवाद संख्या 219/11 में तब्दील हुआ. सत्र न्यायालय में कुल आठ गवाहों की गवाही हुई. जिसके आधार पर भादवि 376 में दस साल की सश्रम व 452 में सात वर्ष की सजा सुनायी गयी. दोनों सजा साथ-साथ चलेगी. दुष्कर्मी अर्जुन मांझी 30 सितंबर 2011 से जेल में बंद है. निर्णय की मुफ्त कॉपी देकर सजा काटने के लिए वापस जेल भेज दिया गया.

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