देश की वर्तमान गंभीर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस बार कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं किया गया. इस दौरान शिक्षकों, शिक्षिकाओं व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने मिलकर टैगोर के आदर्शों और विचारों को स्मरण किया. कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ मधुश्री सेन सान्याल द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गयी.
सभी लोगों ने दी श्रद्धांजलि
इसके बाद उपस्थित सभी शिक्षकों व कर्मचारियों ने पुष्प अर्पण कर गुरुदेव को श्रद्धांजलि दी. प्राचार्या ने टैगोर के बहुआयामी व्यक्तित्व और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि टैगोर केवल एक कवि नहीं थे, बल्कि मानवता, शांति और सहिष्णुता के प्रतीक थे.
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